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उच्च न्यायालय में UCC के ‘लिव इन रिलेशनशिप’ को चुनौती

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उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में यू.सी.सी.के ‘लिव इन रिलेशनशिप’ संबंधी बिंदु को चुनौती देती याचिका को अन्य याचिकाओं के साथ सम्बद्ध(क्लब)कर दिया है। अब इन याचिकाओं को एक अप्रैल को सुना जाएगा।

ऊत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा लागू किये गए समान नागरिक संहिता(यू.सी.सी.)में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता और रजिस्ट्रेशन के फॉर्मेट को असंवैधानिक ठहराए जाने को लेकर याचिका दाखिल हुए।

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‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रह रहे एक जोड़े की याचिका की 18 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति जी.नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को दो दिन के भीतर जबाव दाखिल करने को कहा था।

इस क्रम में आज राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र और राज्य का पक्ष रखा। वे इस मामले में आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।

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इस दौरान याचिकाकर्ता जोड़े की तरफ से बहस करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचन्द्रन ने बताया कि लिव इन रजिस्ट्रेशन के लिये कई पूर्व की जानकारियों का विवरण मांगा जा रहा है, जो कि व्यक्ति की निजता का हनन है। इसमे कहा गया कि किसी की निजता को जानने का अधिकार नहीं है।

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रजिस्ट्रेशन में इस तरह के प्रावधान पक्षपातपूर्ण भी हैं, क्योंकि शादी के रजिस्ट्रेशन में ऐसी सूचनाएं नहीं मांगी जा रही हैं, जैसी लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन के लिये मांगी जा रही हैं। याचिकाकर्ता में लड़का महाराष्ट्र का निवासी है जबकि लड़की रानीखेत की है ।

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