अगर विकास देखना है तो आपको बागेश्वर अंतिम गांव बोरबलड़ा में देखा जा सकता है। जहा आज भी बीमारो को डोली में लाने को ग्रामीण मजबूर है।
सरकार विकास के लाखो दावे तो करती है लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आती है। बागेश्वर में जनप्रतिनिधि सड़को से जिले को पूरी तरह से आच्छादित करने की बाते तो करते है लेकिन जिले के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। हालात ये है जिले के गांवों की की मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए आज भी डोली का सहारा लेना पड़ते है। बता दे की बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील के अंतिम गांव बोरबलड़ा का बड़ा बुरा हाल है। बता दे की कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग महिला की तबीयत खराब होने पर उन्हें डोली से सड़क तक लाने के लिए ग्रामीणों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पूर्व विधायक बलवंत सिंह भौर्याल के कार्यकाल से गांव की सड़क का निर्माण चल रहा है लेकिन 5 साल से उप्पर होने के बाद भी सड़क आज भी ग्रामीणों से काफी दूर है। बागेश्वर जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी दूर बोरबलड़ा गांव के लोग आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। कुछ दिन पहले गांव के भराकांडे तोक की एक बुजुर्ग महिला का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया सड़क नही होने की वजह से ग्रामीण डोली के सहारे बुजुर्ग को करीब 7 किमी सड़क तक लाना पड़ा। उसके बाद गाड़ी से बदियाकोट और उसके बाद सीएचसी कपकोट लाया गया।
वही गांव के युवा हरीश दानू ने बताया कि आज भी वह आधुनिक जीवन जीने की जगह पाषाण युग में जी रहे है हमारे क्षेत्र में सड़क संचार बिजली आदि नहीं होने का ग्रामीण आज भी दंश झेल रहे हैं। गांव के लिए वर्ष 2019 से सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन अब भी सात किमी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। यहां से वाहन की मदद से कपकोट अस्पताल तक लाना पड़ता है। कई बार सड़क तक लाने में मरीज की हालत काफी बिगड़ जाती है। गांव में नेटवर्क नहीं होने से लोग कोई दिक्कत आने पर 108 से संपर्क भी नहीं कर सकते हैं। स्वजनों से फोन पर बात करने के लिए भी 30 से 35 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। गांव में यूपीसीएल की बिजली नहीं है। माइक्रो हाईडिल से संचालित बिजली से लोगों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पाती है।
वही राज्य आंदोलनकारी व सवाल संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश कृषक ने बताया की सरकारें केवल विकास की बात सोचती है करती नही है अगर वह सच में वह विकास की सोच रखते तो जिस गांव को आज सबसे विकसित होना चाहिए था उसको सड़क संचार व बिजली की मांग को लेकर इतने साल इंतजार नही करना पड़ता।
