सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत को अधिकतम दो साल की सज़ा देने की वजह अपने आदेश में बतानी चहिए थी। गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस पहलू पर विचार नहीं किया।
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सज़ा पर रोक लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल जज ने बिना पर्याप्त कारणों और आधार के दो साल की अधिकतम सजा सुनाई है।
कोर्ट ने राहुल गांधी को कथित टिप्पणी करते समय सावधान रहने के लिए भी कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केसी कौशिक ने कहा, “कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी है…सबसे महत्वपूर्ण बात है कि कोर्ट ने यह कहा है कि यह किसी एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि जिन लोगों ने राहुल गांधी को संसद में पहुंचाया है उनके अधिकारों का हनन है।”
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा- यह नफरत के ख़िलाफ मोहब्बत की जीत है, सत्यमेव जयते।
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने सज़ा के एलान के बाद ट्वीट किया- ”राहुल गांधी पर मानहानि के मुकदमे में सजा पर रोक का सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। यह सच्चाई एवं न्याय की जीत है।”
कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा, “हम लोगों को इस फैसले की उम्मीद थी। ये सत्य की जीत है।”
2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक रैली के दौरान कहा- सारे चोरों के नाम में मोदी कॉमन है। राहुल गांधी नीरव मोदी, ललित मोदी का नाम लेकर पीएम मोदी पर तंज कस रहे थे।
इस टिप्पणी के ख़िलाफ़ गुजरात के बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने आईपीसी की धारा में शिकायत दर्ज की। मानहानि का केस कोर्ट पहुंचा।
सूरज की अदालत में सुनवाई हुई और मार्च में राहुल को दो साल की सज़ा सुनाई गई।
लोकसभा सचिवालय ने नोटिस जारी कर राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी है। ऐसा प्रतिनिधित्व अधिनियम के कारण हुआ।
राहुल गांधी अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ गुजरात हाईकोर्ट गए।
गुजरात हाईकोर्ट ने सूरत हाईकोर्ट के फ़ैसले को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट के बाद राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।