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दबाब की राजनीति मे सफल नही हुवे शेर सिंह गड़िया

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कपकोट सीट से टिकट न मिलने पर नाराज बताए जा रहे पूर्व विधायक शेर सिंह गढ़िया ने अब तक अपना रुख साफ नहीं किया है। मीडिया से बातचीत के लिए कई बार तिथि घोषित करने के बाद भी वह मीडिया से मुखातिब नहीं हुए।

2009 के उप चुनाव में कपकोट विधानसभा सीट से विधायक रहे शेर सिंह गढ़िया त्रिवेंद्र रावत की सरकार में बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष रहे। इस बार उनको टिकट का प्रबल दावेदार बताया जा रहा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर उनसे काफी जूनियर सुरेश गढ़िया को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इससे शेर सिंह गढ़िया नाराज हो गए। उनके सैकड़ों समर्थकों ने पार्टी के फैसले की मुखालफत करते हुए पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

तीन दिन तक इस्तीफे का दौर चलता रहा। कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल और भाजपा जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट गढ़िया को मनाने कपकोट पहुंचे, लेकिन गढ़िया नहीं माने। गढ़िया ने अपने समर्थकों के हवाले से पहले 24 जनवरी को बागेश्वर में पत्रकारों से वार्ता करने की सूचना प्रसारित कराई। फिर 25 जनवरी को वार्ता करने की बात सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई, लेकिन गढ़िया मीडिया से रूबरू नहीं हुए। पार्टी खेमे से छन-छन कर आई खबरों के अनुसार उनकी पार्टी आलाकमान से वार्ता हुई है। इसी कारण उनके तेवर नरम हुए हैं। बृहस्पतिवार को फोन पर हुई वार्ता में शेर सिंह गढ़िया ने कहा कि शुक्रवार को प्रदेश से पदाधिकारियों से वार्ता होनी है। शुक्रवार को नामांकन की अंतिम तिथि थी। न तो गढ़िया नामांकन कराने पहुंचे, न उनकी कोई प्रतिक्रिया ही सामने आई। बताया जा रहा हैं कि उनकी नाराजगी दूर हो गई है। फिर भी वह भाजपा के किसी भी कार्यक्रम मे नजर नही आ रहे है। कल हुवे कार्यकम मैं भी नही पहुचे थे शेर सिंह।

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