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प्रेरणा बनी प्रिया : पर्वतीय युवाओं के लिए बना रही हैं अफसर बनने की राह

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सेवानिवृत्त मेजर प्रिया पालनी पहाड़ के युवाओं को बनाना चाहती है सेना में अफसर
– NDA ,CDS और TES का दिया जाएगा निशुल्क प्रशिक्षण

बागेश्वर : सेवानिवृत मेजर प्रिया पालनी के द्वारा भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना में अधिकारी बनने का सपना देखने वाले युवाओं को ”मिशन चेंज मेकर्स” के तहत निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सेवानिवृत्त मेजर प्रिया पालनी अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन कर रही हैं। बागेश्वर नगर के पालनीकोट निवासी सेवानिवृत्त मेजर प्रिया पालनी ने बताया कि इस मुहिम का मुख्य लक्ष्य युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि 19 दिसंबर 2024 को सेवानिवृत होने के बाद सेना ने अधिकारी बनने का सपना देखने वाले पहाड़ के युवाओं के लिए उन्होंने ऑनलाइन निःशुल्क प्रशिक्षण शुरू किया। इससे पहले भी कई युवाओं को वह प्रशिक्षण दे चुकी है। जिले के छह युवा ऑनलाइन माध्यम से इस प्रशिक्षण का लाभ उठाया। जिनमें चार युवतियां और दो युवक शामिल थे। जिनमें से चार युवा आज अधिकारी बन चुके है। उन्होंने कहा कि वह पहाड़ के अधिक से अधिक युवाओं को सेना में अधिकारी के रूप में देखना चाहती है। इसलिए वह यह प्रशिक्षण दे रही है।

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जिले में तीन दिवसीय मार्गदर्शन प्रशिक्षण का होगा आयोजन

बागेश्वर : सेवानिवृत मेजर प्रिया पालनी ने बताया कि जिले में तीन दिवसीय मार्गदर्शन प्रशिक्षण शुरू करने जा रही है। जो 22 मई से 24 मई तक चलेगा। जिसमें सेलेक्ट युवाओं को आगे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में पहले दिन स्क्रीनिंग टेस्ट दूसरे दिन साइकोलॉजी असेसमेंट और तीसरे दिन जीटीओ टास्क सहित पर्सनल इंटरव्यू का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इच्छुक अभ्यर्थी रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव आलोक पांडेय से भी संपर्क कर इस निशुल्क सेवा का लाभ उठा सकते हैं।

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प्रिया ने कठिन परिश्रम से पाया था मुकाम

बागेश्वर : सेवानिवृत मेजर प्रिया पालनी ने बताया कि वह छह महीने की थी जब पापा दुनिया से चले गए। मेरी दीदी भी महज दो साल की थीं। पापा के न होने की टीस हम दोनों में आज भी है। अधिकांश बच्चों को स्कूल से लेने उनके पापा आते थे। तब हम रोज उनकी कमी महसूस करते थे। लेकिन ऐसे वक्त से मां ने हमें बाहर निकाला और आगे बढ़ना सिखाया। सेवानिवृत्त होने के बाद वह दिल्ली में रहती है उनकी बड़ी बहन सोनाली बागेश्वर में ही एक एनजीओ से जुड़कर दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य करती है। प्रिया के पिता नंदन सिंह असम राइफल्स में थे और कम आयु में ही दुनिया छोड़ गए। पिता फर्ज भी मां मालती ने ही निभाया। आज पीछे मुड़कर बचपन को देखती हूं तो एहसास होता है कि मां ने तो कुछ पता ही नहीं चलने दिया। मेरी मां आठवीं पास हैं। इसके बावजूद जीवन का जो सबक उन्होंने हमें दिया वह डिग्री रखने वाले नहीं दे सकते। कोर्स की किताबें तो उसने हमें नहीं पढ़ाई लेकिन संघर्ष से शिखर तक पहुंचने का रास्ता दिखाया। उसी के बताए रास्ते पर चलकर मैं देश के काम आने लायक बन पाई। उसी के बताए रास्ते पर चलकर आज मेरे दीदी दूसरे बच्चों के लिए जीवन की नई राह तैयार कर रही है। अब मै भी पहाड़ के युवाओं का मार्गदर्शन कर एक नई राह दिखाना चाहती हु।

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