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अंकिता हत्याकांड में तीनों आरोपी दोषी करार

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कोटद्वार/देहरादून। उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को आखिरकार न्याय मिल गया। तीन साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया और 47 महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही के बाद कोर्ट ने बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड में तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया है। यह फैसला कोटद्वार स्थित एडीजे कोर्ट ने सुनाया, जिसने पूरे उत्तराखंड और देशभर के लोगों को भावुक कर दिया।

क्या था मामला:
22 वर्षीय अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक स्थित वनतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थीं। 18 सितंबर 2022 को वह रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गई थीं। छह दिन बाद 24 सितंबर को चीला पावर हाउस इनटेक नहर से एसडीआरएफ ने अंकिता का शव बरामद किया। इस हृदयविदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

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आरोपी और जांच प्रक्रिया:
इस मामले में रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, उसके सहयोगी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। पुलकित आर्य को मुख्य आरोपी बनाया गया। राज्य सरकार की ओर से डीआईजी पी. रेणुका देवी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसने 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की।

कोर्ट में चली लंबी सुनवाई:
अंकिता हत्याकांड की पहली सुनवाई 30 जनवरी 2023 को कोटद्वार स्थित एडीजे कोर्ट में हुई। अभियोजन पक्ष ने कुल 97 गवाहों की सूची सौंपी थी, जिनमें से 47 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया। 28 मार्च 2023 से गवाहों की गवाही शुरू हुई और अंतिम बहस 19 मई 2025 को समाप्त हुई। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाने की तिथि 30 मई तय की थी।

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परिवार की उम्मीद और लोगों का समर्थन:

फैसले वाले दिन अंकिता के माता-पिता न्याय की उम्मीद के साथ कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट के बाहर अंकिता के पिता ने कहा, “मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मैं चाहता हूं कि दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।” अंकिता की मां ने भी भरोसा जताया कि उनकी बेटी को न्याय अवश्य मिलेगा।

न्याय की उम्मीद जिंदा रखी:

पूरे उत्तराखंड में इस हत्याकांड को लेकर लंबे समय तक आंदोलन और विरोध प्रदर्शन हुए। सामाजिक संगठनों, युवाओं, महिलाओं और नागरिकों ने लगातार दबाव बनाया कि अंकिता को न्याय मिले। आज जब कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया, तो यह फैसला न केवल अंकिता के माता-पिता के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए राहत और संतोष का क्षण बन गया।

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अंकिता भंडारी को न्याय मिलने से यह संदेश गया कि न्याय की डगर चाहे कितनी भी लंबी और कठिन क्यों न हो, सच्चाई की जीत अंततः होती है। अब देश और उत्तराखंड की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि दोषियों को क्या सजा सुनाई जाती है। समाज उम्मीद कर रहा है कि न्याय व्यवस्था एक मिसाल कायम करेगी, जिससे किसी भी अंकिता के साथ दोबारा ऐसा न हो।

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