तीन दिन से हो रही बारिश ने न केवल पहाड़ों में रहने वालों का जनजीवन प्रभावित किया है, वरन सैलानी भी मौसम की मार से बेहाल हैं। लखनऊ से पहाड़ों की सैर करने आया एक परिवार तीन दिन से बागेश्वर में फंसा है। अब सैलानियों ने घूमने का विचार छोड़कर घर लौटने का मन बना लिया है
लखनऊ के ठाकुरगंज निवासी सक्सेना परिवार के 26 लोग पहाड़ों की सैर करने आए थे। दल में युवा, बुजुर्ग, बच्चे सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। ये लोग 15 सितंबर को हल्द्वानी पहुंचे। सैलानियों ने भीमताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर होकर लोहाघाट के मायावती आश्रम, चंपावत, टनकपुर घूमने का कार्यक्रम बनाया था। यह परिवार 17 अक्तूबर को बागेश्वर पहुंचा और उसी दिन से सैलानियों का यह दल नगर के गोमती पुल के पास स्थित एक होटल में रुका है।
सैलानियों के आने के दिन से लगातार बारिश हो रही है। इस कारण दल के सदस्य बागेश्वर की खूबसूरत वादियों का दीदार भी नहीं कर पाए हैं। हालांकि दल के कुछ सदस्य बैजनाथ धाम घूमने गए, लेकिन बारिश के कारण अधिक समय तक वहां भी नहीं घूम सके। मौसम की मार से सैलानियों के कौसानी सहित अन्य दर्शनीय स्थलों में घूमने का कार्यक्रम भी खटाई में पड़ गया है।
हालांकि मौसम की मार से सैलानियों को होटल में ही ठहरना पड़ रहा है, लेकिन पहाड़ों की खूबसूरती, रहन-सहन और लोगों के व्यवहार से पर्यटक अभिभूत हैं। पहली बार बागेश्वर घूमने आए दल के कई सदस्य दोबारा यहां आकर हसीन वादियों का लुत्फ उठाने की बात कर रहे हैं। सैलानियों के इस दल में विशाल सक्सेना, अश्विनी सक्सेना, मोहित सक्सेना, गौरव सक्सेना, अमृता सक्सेना, निशि सक्सेना, रिया सिंह, नीतू सक्सेना, कोमल आदि शामिल हैं।
विशाल सक्सेना ने बताया कि हमने पूरे परिवार के साथ पहाड़ों के भ्रमण का कार्यक्रम बनाया था, लेकिन बारिश से कार्यक्रम प्रभावित हो गया है। दल के कई लोगों की छुट्टियां खत्म हो गईं हैं। इस कारण मजबूरन लौटना पड़ रहा है। हालांकि बारिश के बावजूद दल के सदस्यों ने पहाड़ की खूबसूरती का जमकर लुत्फ उठाया है। पहाड़ों का जनजीवन बेहद सादा और सरल है। यहां के लोगों का व्यवहार भी दिल को छूने वाला है। बारिश नहीं होती तो कई जगह घूम पाते, लेकिन प्रकृति पर किसी का वश नहीं चलता। इस बार हम कुछ ही जगहों की सैर कर सके हैं, लेकिन भविष्य में जरूर पहाड़ आकर यहां की हसीन वादियों के दीदार करेंगे।