जिले में 17 अप्रैल से लगातार बारिश हो रही है। अक्तूबर में भी बारिश पीछा नहीं छोड़ रही है। पिछले 48 घंटे से जनपद में जमकर बारिश हो रही है। 200 एमएम बारिश किसानों की परेशानी बढ़ाने के लिए काफी है। बारिश के कारण किसान न तो समय पर धान काट पाए हैं और न ही पशुओं के लिए चारे का भंडारण किया गया है। घास बारिश के कारण सड़ने लगी है। पिछले 40 वर्षों में अक्टूबर माह में इतनी बारिश पहली बार रिकार्ड हुई है। पहाड़ में धान, मडुवा, चौलाई समेत खरीफ के फसल की कटाई और मढ़ाई का काम चरम पर था। लेकिन मौसम किसानों का साथ नहीं दे रहा है। पिछले 48 घंटे से अनवरत हो रही बारिश से भूस्खलन बढ़ गया है। जिला देश और जिले से पूरी तरह कटने लगा है। आमतौर पर अक्टूबर माह में इतनी बारिश नहीं होती थी। इस समय मानसून लौट जाता था। इस बार अक्टूबर महीने में जोरदार बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने कहा है कि इस बार मानसून देरी से लौट रहा है। 40 साल में पहली बार मानसून के देरी से लौटने का अनुमान है। मौसम विभाग के रिकार्ड के मुताबिक अक्टूबर महीने में इतनी बारिश 40 वर्ष पूर्व हुई थी। एक दिन में 200 एमएम होना पहाड़ के लिए खतरनाक हो सकता है। ये औसत बारिश से 48 फीसदी अधिक है। 44 वर्षीय धीरज कोरंगा ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में अक्टूबर माह में बिना थमे इतनी बारिश पहली बार देखी है। पहाड़ के लिए यह बारिश नुकसानदायक हो सकती है। बारिश के बाद दुश्वारियां बढ़ेगी। धूप निकलने के बाद पहाड़ों में भूस्खलन बढ़ सकता है। इधर, सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता एके जान ने कहा कि अक्टूबर माह में 40 वर्ष बाद 200 एमएम बारिश एक दिन में रिकार्ड की गई है। भू-वैज्ञानिक लेखापाल ने कहा कि बारिश के पीछे मानसून का देर से आना और देर से वापसी भी एक कारण हो सकता है।






