जगदीश उपाध्याय
विद्यालयों में नए शैक्षिक सत्र का प्रारंभ हो चुका है और विद्यालयों में प्रवेश उत्सव मनाया जा रहा है। जबकि सरकारी विद्यालयों में छात्रों के साथ साथ अब शिक्षकों की भी कमी हो गई है। इस बीच स्थानांतरण की प्रक्रियाएं गतिमान है जिससे कई विद्यालय प्रभावित हो गए हैं विद्यालयों से शिक्षकों का अन्यत्र ट्रांसफर हो जाने से विद्यालय शिक्षक विहीन हो चुके हैं क्योंकि इनके स्थान पर न ही कोई प्रतिस्थानी शिक्षक आए हैं और न ही किसी अतिथि शिक्षक की नियुक्ति हो सकी है।
बागेश्वर जैसे जिले के दुर्गम ब्लॉक कपकोट को यदि हम देखें तो यहां हालात और दयनीय हैं पहले ही शिक्षकों का टोटा पड़ा रहता है ऐसे में स्थानांतरण होने के बाद यहां की स्थिति और भी दयनीय हो गई है ।
विद्यालय में जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो नए विद्यार्थी क्यों इन सरकारी विद्यालय में प्रवेश लेंगे?
यह एक बड़ा प्रश्न वाचक चिन्ह प्रवेश उत्सव के नाम पर किए जा रहे तमाशा पर भी लगता है।
शिक्षकों की कमी घटती छात्र संख्या और विद्यालयों में लटकते ताले सरकार और विभाग को आइना दिखाते हैं।
ऐसे में कैसा प्रवेश उत्सव मनाया जा रहा है यह सोचनीय विषय है।
यदि हम दूसरी तरफ देखें तो कुछ विद्यालयों में सरकारी शिक्षकों के न होने पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई है जिससे थोड़ा बहुत स्थिति में सुधार हुआ है परंतु वर्तमान में जो स्थानांतरण हुए हैं इससे भी कई विद्यालयों में अतिथि शिक्षक बाहर हो चुके और कई तो लम्बे समय से ही बाहर चल रहे हैं। इनकी नियुक्ति के प्रयास वर्तमान में बागेश्वर जिले में तो नहीं गतिमान हैं या कछुआ गति से गतिमान हैं। विभाग और छात्रों के लिए अच्छा तो यही होता है कि यह प्रक्रिया जल्द से जल्द निपटाई जाती जिससे विद्यालयों की स्थिति कुछ सुधर सकती इससे छात्रों को शिक्षक और जो अतिथि शिक्षक बाहर चल रहे हैं उन्हें भी रोजगार प्राप्त हो जाता परंतु किसी को इस सबसे शायद कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि गरीब का बच्चा ही वह छात्र है जो सरकारी विद्यालयों में पढ़ता है। उनके हित में भी कोई कदम नहीं उठ रहा है वो मिलों पैदल चलकर विद्यालय आ रहा है और शिक्षा के मंदिर से खाली घर को लौट रहे हैं अभिभावकों का रोज का ताँता जिला मुख्यालय में लगा रहता है पर कोरे वादों के अलावा कुछ नहीं मिलता है। आदेश पर आदेश जारी किए जा रहे हैं कि सरकारी विद्यालयों की स्थिति बहुत अच्छी है और यहां पर अधिक से अधिक प्रवेश होने चाहिए पर लगता है प्रयास ऐसी स्थिति बना कर प्रवेशों को रोकने का किया जा रहा है।
