बागेश्वर। एक समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के सामने बागेश्वर जिले के कपकोट विकास खंड के मुनार गांव का नाम गर्व से लिया था। 29 अप्रैल 2018 को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने मुनार की महिलाओं द्वारा तैयार मडुवे के बिस्कुट को आत्मनिर्भरता और वेल्यू एडिशन का बेहतरीन उदाहरण बताया था। उन्होंने इसे न केवल ग्राम स्वराज का प्रतीक माना, बल्कि कहा था कि इससे लगभग 900 परिवारों को रोजगार मिलेगा और 15 लाख रुपये की आमदनी होगी। साथ ही यह भी कहा कि पलायन रुकेगा। लेकिन आज उसी परियोजना पर ताले जड़े हैं। जिस प्रतिष्ठान की कभी प्रधानमंत्री ने सराहना की, वही अब वह बंद पड़ा है, और ग्रामीण फिर से निराशा और बेरोजगारी की ओर लौटने को मजबूर हैं। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने आज मुख्य विकास अधिकारी आर सी तिवारी को ज्ञापन देकर बंद पड़ी फैक्ट्री को खोलने की मांग की
सरकार बदली, उम्मीदें रुकीं
पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा स्थापित मडुवा बिस्कुट फैक्ट्री ने मुनार की तस्वीर बदल दी थी। मडुवा जो पहले 20 से 25 रुपये किलो बिकता था, फैक्ट्री शुरू होने के बाद उसका दाम 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। इससे किसानों को सीधा लाभ हुआ और स्थानीय उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई। यह फैक्ट्री न सिर्फ एक आर्थिक पहल थी, बल्कि महिलाओं की आत्मनिर्भरता, ग्रामीण रोजगार और पोषण को जोड़ने वाली एक प्रेरक मिसाल थी। लगभग 50 आंगनबाड़ी केन्द्रों में मडुवा बिस्कुट भेजे गए, जिससे स्थानीय बच्चों को पौष्टिक आहार मिला और बाजार में स्थानीय उत्पाद की पहचान बनी।
अब सन्नाटा है, सिर्फ उम्मीदें बाकी हैं
दुर्भाग्यवश, यह मॉडल प्रोजेक्ट अब लंबे समय से बंद पड़ा है। जो महिलाएं पहले मडुवा प्रसंस्करण में लगी थीं, अब खाली बैठी हैं। किसान दोबारा औने-पौने दामों पर मडुवा बेचने को मजबूर हैं। और प्रधानमंत्री की मन की बात में आई वह तारीफ अब सिर्फ दस्तावेज़ों तक सीमित होकर रह गई है।
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने की पहल
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश सिंह ऐठानी ने इसे एक राष्ट्रीय स्तर की असफलता बताते हुए मुख्य विकास अधिकारी को ज्ञापन देकर आग्रह किया है कि फैक्ट्री को जल्द शुरू कराया जाए। उनका कहना है कि यदि यह कार्य दोबारा शुरू होता है तो जनपद का गौरव फिर से स्थापित होगा और प्रधानमंत्री जी की कही बात भी साकार होगी।
वही मुख्य विकास अधिकारी आर सी तिवारी ने बताया कि बिस्किट फैक्ट्री सरकार का सीधा उपक्रम नहीं है फैक्ट्री समिति चलाती थी हमारे द्वारा कई बार इसको फिर से शुरू करने की कोशिश की गई थी। लेकिन समिति में आपसी तालमेल नहीं होने से फैक्ट्री बंद पड़ी है। हमारी कोशिश रहेगी कि फैक्ट्री फिर से खुले जिसके लिए वह प्रयासरत भी है।






