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बागेश्वर में खनन न्यास की धनराशि का हो रहा है दुरुप्रयोग, उच्च न्यायालय ने सरकार से मांगा जवाब

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उच्च न्यायालय ने खनन के पट्टों पर दी जाने वाली खनन न्यास की धनराशि का जिला प्रशासन बागेश्वर के द्वारा दुष्प्रयोग किये जाने के मामले पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की और राज्य सरकार से कहा है कि प्रदेश में जिस संस्था ने इस क्षेत्र में बढ़िया कार्य किया है उनकी सूची दें।

आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यामूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई। बागेश्वर निवासी गोपाल वनवासी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बागेश्वर में 109 खनन कारोबारी हैं। खनन कारोबारी प्रत्येक वर्ष अपने खनन पट्टों से खनन के दौरान पर्यवारण को होने वाले नुकसान की क्षति की भरपाई के लिए राज्य सरकार को भुगतान करते हैं। परन्तु राज्य सरकार के द्वारा इस धनराशि का उपयोग उनके द्वारा खनन के दौरान हुई पर्यवारण क्षति में उपयोग नहीं किया जा रहा रहा है।जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिला अधिकारी के द्वारा इस धन का उपयोग अपने ऑफिस के नव निर्माण और अन्य कार्यों में किया जा रहा है। खनन पट्टाधारियों से प्राप्त इन धनराशि या इस तरह का प्रयोग केंद्र सरकार की नियमावली के विरुद्ध है। केंद्र ने अपनी नियमावली में लिखा है कि खनन के कार्यों से जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई खनन की मद से ही की जाए।

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