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पीड़ित पत्रकार के साथ खड़ा हुआ एनयूजे, पुलिस अधीक्षक को भेजा पत्र

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नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) उत्तराखंड ने वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल यादव व उनके परिवार पर हुए जानलेवा हमले को लेकर कड़ा विरोध दर्ज किया है। यूनियन ने इस बाबत पुलिस अधीक्षक चंपावत को पत्र भेजकर घटना की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच करवाने तथा आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष दया जोशी ने चंपावत के पुलिस अधीक्षक को प्रेषित में बताया कि विगत माह 29 जून की सायं लगभग 7 बजे पत्रकार बाबूलाल यादव पर टनकपुर की मछली गली के समीप सुनील बाल्मीकि, मुनेश बाल्मीकि, गौरव, अजीत कुमार सहित लगभग 50 अज्ञात व्यक्तियों ने सुनियोजित तरीके से लाठी, डंडों व हॉकी स्टिक से ताबड़तोड़ हमला किया। इस दौरान बाबू लाल यादव को बचाने पहुंचे उनके पुत्र रवि यादव और अन्य परिजनों को भी हमलावरों ने बुरी तरह पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। यही नहीं, हमलावरों द्वारा परिवार की महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की बात भी सामने आई है। पीड़ित परिवार की तहरीर पर पुलिस द्वारा थाना टनकपुर में भारतीय न्याय संहिता की धारा 115(2), 126, 190, 191(2), 191(3), 351(2) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया।

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पत्र में यूनियन ने नाराजगी जताते हुए कहा कि घटना के ठीक अगले दिन आरोपियों द्वारा पीड़ित पत्रकार बाबूलाल यादव व उनके परिवार के खिलाफ थाना टनकपुर में साजिशन तहरीर देकर उल्टा उन्हें ही आरोपी बना दिया गया। आरोपियों द्वारा थाना टनकपुर में दी गई झूठी तहरीर में पुलिस द्वारा पीड़ित पक्ष के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 115(2), 324(4) के अलावा एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं 3(1)(द) थी 3(1)(ध) के तहत मामला दर्ज किया गया।

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यूनियन का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से एक पक्षपातपूर्ण कार्रवाई है। यह केवल पत्रकार की गरिमा पर प्रहार ही नहीं, बल्कि कानून के दुरुपयोग का भी साक्षात उदाहरण है। प्रेषित पत्र में यूनियन ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पुलिस द्वारा झूठे मुकदमे को वापस लेकर वास्तविक आरोपियों के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो पत्रकार राज्य व्यापी आंदोलन को बाध्य होंगे।

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यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष दया जोशी ने कहा कि “पत्रकारों पर इस प्रकार के हमले और उनके विरुद्ध झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें डराने की कोशिश निंदनीय है।” पुलिस को दबाव में आकर पीड़ित पक्ष को ही कटघरे में खड़ा नहीं करना चाहिए बल्कि ऐसे मामलों में निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करनी चाहिए।

यूनियन ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए शासन प्रशासन से ठोस नीति बनाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित किया जाए। जिससे मीडिया की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता बनी रह सके।

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