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प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा आपदा प्रबंधन करने की बजाय भाजपा के बूथों का प्रबंधन करने पहुंचे थे बागेश्वर : हरीश ऐठानी

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  • 2014 में बने 9 वैली ब्रिज खतरे की जद में

बागेश्वर संवादाता : बागेश्वर में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने पत्रकार वार्ता करते हुए सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की प्रभारी मंत्री आपदा की बैठक लेते है लेकिन उसमे केवल भाजपा नेता मौजूद थे। जबकि आपदा की बैठक में चुने हुए प्रतिनिधियों, पूर्व प्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा की आपदा की बैठक में आपदा के प्रबंधन नही जबकि भाजपा के बूथों का प्रबंधन किया जा रहा था।

आपदा के लिए संजीदा नही है सरकार

आपदा के लिए सरकार किसी भी तरह संजीदा नही है अगर वह संजीदा होते तो आपदा जैसी महत्वपूर्ण बैठक में जन प्रतिनिधियों को नही बुलाना और उनकी अनदेखी करना निद्नीय है। उन्होंने कहा की आपदा का दंश झेलने वाले लोगो के लिए कोई भी काम नहीं किया जा रहा है। खुद विधायक कपकोट भी मानते है की अधिकारी आज काम नहीं कर रहे है। अधिकारी आपदा के लिए संवेदनशील नहीं है।

आज आपदा से प्रभावित लोगो को कोई नही देखने वाला

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने बताया की आपदा से जिले के कपकोट में सबसे अधिक मकान क्षत्रिग्रस्त है। सड़के जगह जगह बाधित है लेकिन उन तक आपदा सहायता राशि नही दी गई है। जब भी कोई बैठक होती है आपदा के प्रभावित लोगो की समस्या की जगह खुद की समस्याओं पर चर्चा होती है। उन आपदा प्रभावित लोगो के लिए आज कोई काम नहीं हो रहा है। प्रभारी मंत्री बैठक करते है लेकिन आपदा प्रभावित जगहों का दौरा नही करते है केवल टेबल टॉक तक ही उनकी बैठक रह गई है।

कपकोट में कई लोगो के मकान आपदा से प्रभावित है किसी तरह की कार्यवाही नई हुई

कपकोट क्षेत्र आपदा से पूरी तरह टूटा हुआ है। मकान लगातार क्षत्रिग्रस्त हो रहे है लेकिन सरकार सभी की उपेक्षा कर रही है। कपकोट क्षेत्र के सकनूड़ा में चार, पोथिग में एक, चेचेई में एक, ऐठाण में एक, कपकोट में दो, उनिया में एक, ओलिया गांव में दो, सिमकोना में दो मकान क्षत्रिग्रस्त हो चुके है उन तक पहुंचने की कोशिश भी नही कर रहा है प्रशासन। वही 2018 की आपदा में प्रभावित ऊनिया और बदियाकोट में आपदा जद में 10 – 10 मकान खतरे की जद में उन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

मल्ला दानपुर क्षेत्र में बने 9 वैली ब्रिज आज खतरे की जद में

उन्होंने बताया की 2014 में बने 9 वैली ब्रिज आज खतरे की जद में है जिनमे दो कर्मी, एक वाछम, दो बदियाकोट, 4 रेखाड़ी से चौड़ा स्थल में बने वैली ब्रिज पूरी तरह खतरे की जद में है। उनका झुकाव एक तरफ हो गया है। साथ ही उन्होंने बताया की कपकोट में तीन एंबुलेंस में किसी भी वाहन में परमानेंट ड्राइवर तक नही है। उप जिलाधिकारी कार्यालय हो तहसील हो या ब्लाक हो सभी प्रभारी के भरोसे चल रहे है।

“वैली ऑफ डेथ” के नाम से जाना जा रहा धरमघर माजखेत सड़क को

साथ ही धरमघर माजखेत सड़क आज लोगो के द्वारा वैली ऑफ डेथ के नाम से जाना जा रहा है। हर कोई सड़क से गुजरने से डर रहा है। शासन-प्रशासन से कहते कहते थक चुके है ग्रामीण। लेकिन आज तक उनकी कोई सुन नही रहा है।

आपदा की योजना 10 प्रतिशत के मुकाबले 90 प्रतिशत के हिसाब से तैयार की जाती है

उन्होंने कहा कि महज 10% संख्या में लोग पहाड़ में निवास करते हैं लेकिन आपदा में योजना देश के 90% आबादी हिसाब से तैयार की जाती है। जिसके चलते पहाड़ की जनता को भारी नुकसान के बाद भी परेशानियों का सामना करना पढ़ता है। सरकार को चेतावनी देते हुवे कहा कि अगर नहीं चेते तो 15 सितंबर से वो आंदोलन को बाध्य होंगे और आपदा से पीड़ित लोगों व सरकार की बुद्धि शुद्धी के लिए केदारेश्वर मैदान में भव्य यज्ञ किया जाएगा।

इस मौके पर नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद बिष्ट,पूर्व दर्जा राज्यमंत्री राजेंद्र टंगड़िया, जिला पंचायत सदस्य सुरेश खेतवाल,क्षेत्र सदस्य रमेश हरडीया,दीपक गड़िया आदि मौजूद थे।

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