सरकार की करनी और कथनी का जीता जागता उदाहरण है कपकोट विधानसभा का उप तहसील शामा
बीते 45 दिन से शामा तहसील बंद
वर्ष 2016 में भूमि पूजन और वर्ष 2020 में लोकार्पण होने के बाद भी शामा उप तहसील मात्र भवन निर्माण तक ही सीमित रह गया।
बागेश्वर : क्षेत्रीय जनता द्वारा कई बार शासन प्रशासन और विधायक को अवगत कराने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो पाया। जिस कारण स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम जनता में रोष व्याप्त है। स्थानीय जनप्रतिनिधियो का कहना है विधायक कपकोट सभी मंचों से कहते है कि विकास और सभी योजनाओं का लाभ अन्तिम छोर में रह रहे व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि बिचला दानपुर की लगभग 22000 हजार की आबादी अपने छोटे छोटे कामों के प्रपत्र बनाने के लिए आज भी 30 किलोमीटर दूर कपकोट तहसील पर निर्भर होना पड़ रहा हैं। यदि सभी कार्यों के लिए कपकोट ही जाना था तो शामा उप तहसील में बना 3 करोड़ के भवन का क्या ओचित्य है। हमारी शासन प्रशासन से मांग है कि अविलंब उप तहसील शामा में अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती कर व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलाई जाए ताकि क्षेत्रवासियों को इसका लाभ मिल सकें। वही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने बताया कि शामा उप तहसील कांग्रेस सरकार की देन है। लेकिन भाजपा सरकार में लगातार उप तहसील की अनदेखी को गई है। हाल इतना बेहाल है कि पिछले 45 दिन से तहसील बंद है। विद्युत विभाग के द्वारा विद्युत कनेशन भी काट दिया गया है। उन्होंने कहा कि जल्द तहसील में कर्मचारियों की तैनाती नहीं होती है और सुचारू रूप से तहसील का कार्य शुरू नहीं होता है तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।






