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अनुभव आधारित विज्ञान कार्यशाला विज्ञानोत्सव कार्यक्रम का हुआ विज्ञान मेले के साथ समापन।

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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित गतिविधि सप्ताह के प्रथम चरण में राजकीय इंटर कॉलेज कन्यालीकोट में आयोजित अनुभव आधारित विज्ञान कार्यशाला वीज्ञानोत्सव कार्यक्रम का आज विज्ञान मेले के साथ समापन हो गया, विज्ञान मेले में 4 दिनों में कई गतिविधियों के साथ प्रतिभागी बच्चों ने 40 मॉडल प्रदर्शित किए जिसे देखेने के लिए आसपास के विद्यालयों के बच्चों की भारी भीड़ उमड़ गयी,और उनके द्वारा बनाए गए मॉडल उत्सुकता के केंद्र बने I बच्चों ने अपने प्रस्तुतीकरण में सबका मन मोह लिया इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।आज के विज्ञान मेले का उद्घाटन एस एम सी अध्यक्ष, प्रधानाचार्य और डाइट प्राचार्य द्वारा संयुक्त रूप से रिबन काटकर किया गया। आज की विज्ञान मेले बच्चों द्वारा विभिन्न मॉडल प्रदर्शित किए जिसमें जादुई पनडुब्बी, जादुई हाथ जिद्दी गुड्डा, चुम्बक का डांस ,चुंबक की ट्रेन ,सोलर हाउस, पेंसिल का संतुलन पेरिस्कोप , विद्युत जनरेटर, विद्युत चुंबक, बोतल का फवारा, ग्रह तारे और नक्षत्र, जैसे कई क्रिया कारी मॉडलों को प्रदर्शित किया, इस कार्यशाला की विशेषता यह है कि इसमें बनाए जाने वाले सभी मॉडल स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से बनाए जाते हैं विज्ञान मेले के प्रदर्शन के बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया और बच्चों द्वारा विज्ञान गीत ज्ञान का दिया जलाने चल पड़ा है सिलसिला बना रहे बना रहे रोशनी का सिलसिला गीत के साथ विज्ञान मेले का समापन हुआ समापन अवसर पर इन बच्चों द्वारा अपने विचार रखे इसमें कक्षा 6 की छात्रा कोमल द्वारा कहा भी इस तरह के विज्ञान शिक्षण होना बहुत ही आनंददायक है, कार्यशाला के समापन अवसर पर बोलते हुए इस कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व डाइट प्राचार्य डॉक्टर शैलेंद्र सिंह धपोला ने कहा की विज्ञान को अनुभव से सीखा जा सकता है ,पुस्तकों में लिखा हुआ विज्ञान विज्ञान का अंतिम उत्पाद है हमें बच्चों को उस प्रक्रिया से गुजारना होगा जिस प्रक्रिया से विज्ञान उत्पन्न होता है विज्ञान शंका व प्रश्नों से उत्पन्न होता है हमें बच्चों प्रश्न पूछने व अपने आसपास के वातावरण को अवलोकन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। कार्यशाला के मुख्य संदर्भ दाता बाल विज्ञान गौशाला से श्री आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि आज विज्ञान की शिक्षा भाषा के मकड़जाल में फंस गई है हमें लगता है कि भाषा के जरिए विज्ञान सीखना ही विज्ञान है लेकिन भाषा के द्वारा विज्ञान नहीं सीखा जा सकता है। हमें विज्ञान खेल-खेल में करके ही सीखना होगा ।पूरे देश के अंदर भाषा पर केंद्रित विज्ञान होने की वजह से नहीं तो हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा कर पा रहे हैं नहीं विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न कर पा रहे है। कार्यशाला के सह सयोजक डॉक्टर प्रेम सिंह मावड़ी ने सभी आगंतुकों विद्यालय का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री चंद्र प्रकाश मिश्रा ने कहा कि इस तरह के आयोजन बच्चों में विज्ञान की रूचि को पैदा करने के लिए बेहद उपयोगी होंगे और बेहतर समाज के निर्माण की विज्ञान की भूमिका को और अधिक मजबूती प्रदान करेंगे। इस अवसर पर राजकीय इंटर कॉलेज कन्यालिकोट राजकीय उच्च माध्य विद्यालय वैसानी, इंटर कॉलेज हरसिला,उच्च माध्यमिक विद्यालय चल काना ,प्रथमिक विद्यालय लामाबगड़ प्राथमिक विद्यालय कन्यालीकोट के 1000 बच्चों ने इस विज्ञान मेले का आनंद उठाया। कार्यशाला के अवसर पर डॉ भैरव दत्त पांडे ,संडीप कुमार जोशी, डॉ राजीव जोशी आशीष कांडपाल, बृजेश उप्रेती, धीरेंद्र कुमार प्रकाश चंद ,श्रीमती पूनम पाठक कार्यक्रम की अध्यक्षता स्थल संयोजक चंद्र प्रकाश मिश्रा व संचालन हरीश चंद्र ने किया।

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