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बागेश्वर में खड़िया खनन : कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट से कठघरे में धामी के अफसर

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बागेश्वर में खड़िया खनन पर उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी गयी है. उच्च न्यायालय में इस मामले की अगली सुनवाई 09 जनवरी 2025 को होनी है. मीडिया में खड़िया खनन से पैदा हो रही दुश्वारियों की खबर आने के बाद उच्च उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान ले कर दो अधिवक्ताओं- मयंक राजन जोशी और शारंग धूलिया को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया. कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट ने जहां खड़िया खनन से इस इलाके के प्रकृति, पर्यावरण और निवासियों के लिए उत्पन्न होने वाले गंभीर खतरों का खुलासा किया, वहीं उत्तराखंड सरकार के प्रशासनिक अफसरों द्वारा इस खनन माफियाओं से मिलीभगत एवं फंड की दुरुपयोग की तस्वीर को भी साफ तौर पर सामने रखा गया है.
कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में बागेश्वर में खड़िया खनन को लेकर उत्पन्न हो रही दिक्कतों का बिंदुओं के रूप में सार-संक्षेप किया :
1)अवैध खनन
2 2) खदानों में खनन तय समय सीमा से अधिक समय तक किया जाना
3 3) वन पंचायत की ज़मीनों पर अतिक्रमण और अवैध खनन
4 4) जल स्रोतों का सूखना
5 5) खदान संचालकों द्वारा जंगलात / वन पंचायत / राजस्व की ज़मीनों का अनधिकृत इस्तेमाल
6 6) जंगलात और वन पंचायत के जंगलों में पेड़ों का अनधिकृत / अवैध कटान
7 7) विदेशी मजदूरों का प्रयोग
8 8) वायु, ध्वनि एवं जल प्रदूषण
9 9) अवैज्ञानिक खनन
1 10) श्रम क़ानूनों को लागू करने में केंद्रीय श्रम विभाग की विफलता
11 11) जिला खनन न्यास के कोष का दुरुपयोग
मुद्दों को चिन्हित करने के साथ ही कोर्ट कमिश्नरों ने बहुत विस्तार से इन मसलों पर अपनी रिपोर्ट में विवरण दिया है.
कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में अपनी संस्तुतियां भी दी हैं, जिसमें वे राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन एजेंसी (एसईआईएए) को सभी पर्यावरणीय स्वीकृतियों / अस्वीकृतियों को उनके साइट पर अपलोड करने व अपलोड किए गए डाटा के लिए एसईआईएए के अध्यक्ष को उत्तरदाई बनाने के अनुशंसा करते हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दफ्तर बागेश्वर में और राज्य के हर ब्लॉक में खोलने की अनुशंसा करते हैं. खनन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को पर्याप्त संख्या में खनन निरीक्षकों के साथ बागेश्वर में नियुक्त करने की अनुशंसा करते हैं.
कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में खनन से जुड़ी नीतियों, खनन अफसरों की नियुक्ति की नीतियों और पर्यावरण प्रबंधन की नीतियों की समीक्षा की अनुशंसा की है. वे केंद्रीय श्रम मंत्रालय को बागेश्वर में कार्यालय खोलने के लिए निर्देशित किए जाने की तीव्र अनुशंसा करते हैं क्यूंकि वहाँ बाल श्रम समेत बड़े पैमाने पर श्रम क़ानूनों का उल्लंघन हो रहा है.
भारी मशीनों से खनन पर रोक लगाने की भी अनुशंसा की गयी है.
इसके अलावा ठाकुर सिंह गड़िया और सुरेन्द्र सिंह भौंर्याल द्वारा अपने लीज क्षेत्र से अधिक खनन और भंडारण करने तथा लीज व पर्यावरण स्वीकृति की शर्तों का अनुपालन करने में विफल रहने के लिए उनकी लीज निरस्त करने की अनुशंसा भी कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में की गयी है. यह भी उल्लेख किया गया है कि सुरेंद्र सिंह भौंर्याल की खदान में बाल श्रम करवाया जा रहा था.
इन सब के अलावा जो सबसे कठोर टिप्पणी है, वो राज्य सरकार द्वारा बागेश्वर में नियुक्त किए जाने वाले अफसरों पर है. राजस्व विभाग के अधिकारियों के बारे में कहा ही गया है कि वो 10-15 वर्षों से बागेश्वर में ही जमे हुए हैं, कुछ तबादला होने पर पुनः बागेश्वर लौट आते हैं. उनके तबादले की अनुशंसा की गयी है. साथ ही आईएएस आधिकारियों पर भी कठोर टिप्पणी की गयी है.
श्री विनीत कुमार और श्रीमती अनुराधा पाल, दोनों ही आईएएस अफसर हैं, जो समय-समय पर बागेश्वर जिले के जिलाधिकारी रहे हैं.
इन दोनों ही अधिकारियों के विरुद्ध कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा की गयी है.
रिपोर्ट कहती है कि बागेश्वर के जिलाधिकारी के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आईएएस विनीत कुमार ने जिला खनन न्यास के कोष का इस्तेमाल अपने दफ्तर की मरम्मत के लिए किया और इस काम पर 3382000 रुपये ( तेतीस लाख बयासी हज़ार रुपये) खर्च किए.
इसी तरह श्रीमती अनुराधा पाल ने बागेश्वर के जिलाधिकारी पद पर रहने के दौरान अपने तथा एसडीएम कपकोट के दफ्तर की मरम्मत पर 1806000 रुपये (अट्ठारह लाख छह हज़ार रुपये) जिला खनन न्यास के कोष से खर्च कर दिये.
इन अफसरों को वित्तीय कुप्रबंधन का जिम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट कहती है कि पिछले चार सालों से जिला खनन न्यास के कोष का ऑडिट तक नहीं करवाया गया.
रिपोर्ट में अनुशंसा की गयी है कि उक्त धनराशि इन अफसरों से वसूल की जानी चाहिए ताकि अन्य अफसरों के लिए भी मिसाल कायम हो.
बागेश्वर जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों के अलावा दो आईएएस अफसरों के बारे में कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में किया गया खुलासा बताता है कि बागेश्वर जिले में खड़िया खनन से हो रही तबाही में खनन माफिया के साथ अफसरों का भी भरपूर योगदान है.
जिन दोनों अफसरों का उल्लेख कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में किया है, वे दोनों ही आजकल सचिवालय में मुख्यमंत्री के साये तले बैठते हैं.
पुष्कर सिंह धामी जी, कोर्ट कमिश्नरों ने तो आपके अधिकारियों की करतूतों पर से पर्दा उठा दिया है, क्या आप इन पर कार्रवाई का साहस दिखा सकेंगे ? या फिर “खनन प्रियता” की राह के राही होने के लिए ये और बड़े पुरस्कार के हकदार बनेंगे ?
कोर्ट कमिश्नरों ने तो अपनी रिपोर्ट का समापन गिरदा के प्रसिद्ध गीत :
“आज हिमाल तुमनके धत्यूं छौ
जागो,जागो ओ म्यारा लाल
नी करण दियो हमरी निलामी
नी करण दियो हमरो हलाल”
यानि
आज हिमालय पुकार रहा है तुम्हें,
जागो जागो ओ मेरे लाल
मत करने दो मेरी नीलामी
मत होने दो मेरा हलाल
अहम सवाल यह है कि जब सत्ता,अफसर और खनन माफिया एक ही नाव पर सवार हैं तो बागेश्वर में जैसा हिमलाय का, पहाड़ का और उसके वाशिंदों का हलाल और नीलम हो रहा है, उसे कौन रोकेगा ?
इसके लिए तो पुरजोर संघर्ष ही रास्ता है !
-इन्द्रेश मैखुरी

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