उत्तराखंड सरकार द्वारा विद्यालयों को मर्ज या स्थायी रूप से बंद कर कलस्टर विद्यालय बनाने की जो योजना चलाई जा रही है, वह न केवल शिक्षा विरोधी है, बल्कि यह संविधान और कानून दोनों के प्रावधानों का भी स्पष्ट उल्लंघन है। सरकार वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार 1700 विद्यालय बन्द कर चुकी है और 3500 बन्द होने की स्थिति में हैं
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👉 संविधान का अनुच्छेद 21A हर बच्चे को 6 से 14 वर्ष की उम्र तक निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
👉 शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act 2009) कहता है कि प्रत्येक बच्चे को उसके निवास स्थान से 1 किमी के भीतर प्राथमिक स्कूल और 3 किमी के भीतर उच्च प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध होना चाहिए।
👉 संविधान के नीति निदेशक तत्व (अनुच्छेद 45 व 46) विशेष रूप से कमजोर वर्गों और अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी राज्य पर डालते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) ने ‘क्लस्टर स्कूल’ की अवधारणा इसलिए दी थी ताकि स्कूलों की गुणवत्ता और संसाधनों को साझा किया जा सके — यह कभी भी स्कूल बंद करने या बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की योजना नहीं थी।
👉 RTE Act 2009 के तहत 6 से 14 वर्ष की उम्र तक के प्रत्येक बच्चे को पास के स्कूल में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। ऐसे में स्कूलों को बंद करने का निर्णय सीधे-सीधे इस अधिकार का हनन है। यह राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह हर गांव और हर बच्चे तक शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित करे।
आज जिन स्कूलों को “छोटा” कहकर बंद किया जा रहा है, वे ही स्कूल सीमांत, गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के जीवन में आशा की एक किरण हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ही आगे चलकर डॉक्टर, शिक्षक, सैनिक, वैज्ञानिक बनते हैं और समाज के लिए योगदान देते हैं। इन स्कूलों का बंद होना न केवल शिक्षा व्यवस्था का क्षरण है, बल्कि सामाजिक न्याय की बुनियाद पर भी आघात है।
सरकार को यह समझना होगा कि स्कूल बंद करना कोई Excel शीट का गणित नहीं है। यह निर्णय हजारों मासूम बच्चों के भविष्य, सपनों और परिवारों की उम्मीदों से जुड़ा है।
आज आवश्यकता है -:
1स्कूलों के विलय व बंद करने की वर्तमान नीति पर तत्काल रोक लगाई जाए।
2. हर गाँव में RTE Act के तहत निर्धारित दूरी में स्कूलों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
3. बंद किए गए सभी स्कूलों की स्थिति की सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट जारी की जाए।
4. निजी स्कूलों को बढ़ावा देने की बजाय सरकारी स्कूलों में शिक्षक व संसाधन की उपलब्धता बढ़ाई जाए।
5. स्थानीय ग्राम पंचायतों व स्कूल प्रबंधन समितियों की सहमति के बिना कोई भी स्कूल बंद न किया जाए। बल्कि उन्हें शिक्षक और संसाधनों से पुष्ट कर सशक्त किया जाए।
6. क्लस्टर स्कूल के नाम पर ट्रांसपोर्ट सुविधाओं की जिम्मेदारी सरकार ले, ताकि कोई बच्चा स्कूल से वंचित न रहे। सभी का दुर्घटना बीमा हो।
7. स्थायी शिक्षक नियुक्त किए जाएं, गेस्ट फैकल्टी,उपनल कर्मचारी, भोजनमाता के भी स्थाईकरण की नीति बने।
ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों को बंद करना वहाँ के बच्चों को शिक्षा से दूर करने और उन्हें अंधकार में ढकेलने जैसा है।
हम अपील करते हैं कि शिक्षा के इस मूलभूत अधिकार की रक्षा की जाए। हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह संवेदनशील निर्णय लेकर शिक्षा को प्राथमिकता दे।
यह कोई spreadsheet नहीं, यह जीवन की पहली पाठशाला है — जहाँ से हर बच्चे का भविष्य शुरू होता है।






