बागेश्वर में उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनो ही दमखम के साथ चुनाव लड़ते दिख रहे है। दोनो ही पार्टियों के प्रमुख नेता बागेश्वर पहुंच अपने अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट की अपील कर रहे है। कुमाऊं की काशी बागेश्वर अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में यहां पहली बार हुए चुनाव हुए। तब कांग्रेस के रामप्रसाद टम्टा ने इस सीट से जीत हासिल की थी। 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा के चंदन रामदास पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद उन्होंने पीछे मुढ़कर नही देखा 2012, 2017 और 2022 के चुनाव में चंदन रामदास अपना कद बढ़ाते गए। और इस सीट पर जीत हासिल की थी। चंदन रामदास के व्यवहार व कार्यप्रणाली से बागेश्वर विधान सभा की जनता ने चौथी बार जीता कर विधानसभा पहुंचाया और चौथी बार में वह कैबीनेट मंत्री बने।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बागेश्वर उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनो के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। दोनो पार्टियां जितने के लिए लाखो जतन करने में लगी है। बागेश्वर उपचुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस सीट पर 2002 के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक बार फिर से जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है। 2002 में कांग्रेस के राम प्रसाद टम्टा और नारायण राम दास में सीधी टक्कर थी जिसमे राम प्रसाद टम्टा ने जीत हासिल की थी। वही 2007 में चंदन राम दास ने राम प्रसाद टम्टा को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। उसके बाद उन्होंने इस सीट से लगातार जीत हासिल की। वही पिछले 2022 के चुनाव की बात की जाए तो एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी चंदन रामदास ने 12,141 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। चंदन रामदास को 32,211 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रंजीत दास को 20,070 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा था। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बसंत कुमार 16 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। अप्रैल 2023 को कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के निधन के बाद से सीट खाली चल रही थी। कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के सौम्य व्यवहार के कारण बागेश्वर की जनता उनकी काफी नजदीक रही है। लगातार चार बार बीजेपी विधायक की जीत ने पार्टी को बागेश्वर में मजबूत किया है। वही कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बसंत कुमार काफी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं बता दें की बसंत कुमार का खुद का एक बड़ा जनाधार होने की वजह से इस चुनाव में वह भी मजबूत दिखाई दे रहे है। इस बार उन्हें कांग्रेस का साथ मिला है।
इस उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरे हैं। यह उपचुनाव सत्ताधारी बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। तो कांग्रेस इस चुनाव को जीतकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए खुद को मजबूत करने में जुटी हुई है।
बागेश्वर में 1 लाख 18 हजार 225 मतदाता है। इन में 60,045 पुरुष और 58, 180 महिलाएं हैं। सर्विस मतदाताओं की संख्या 2,207 है जिनमें से महिला मतदाता 57 है। उपचुनाव के लिए यहां 172 मतदान केंद्र और 188 मतदेय स्थल बनाए गए हैं।