आज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच आपसी कलह के बीच हुई मुलाकात। कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच करीब दो घंटे तक बातचीत हुई। दोनों नेताओं के बीच क्या चर्चा हुई यह तो किसी को नहीं पता पर ये मुलाकात आगे आने वाले दिनों में क्या रंग लायेगा ये वक्त ही बताएगा। पर दोनो की मुलाकात प्रदेश के सियासी घटनाक्रम को लेकर अहम मानी जा रही है।
प्रीतम सिंह ने मुलाकात के बाद हरीश रावत ने कहा प्रीतम सिंह उनके भाई है। साथ ही हरीश रावत ने पार्टी में चल रही अंदरूनी कलह को सिरे से नकारा। कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा पार्टी एकजुट है। आने वाले दिनों में विपक्ष मजबूत होकर सरकार को घेरने का काम करेगा। हरीश रावत ने बजट सत्र को भी धामी सरकार को घेरा। हरीश रावत ने कहा धामी सरकार गैरसैंण की अनदेखी कर रही है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद से ही प्रीतम सिंह पार्टी से नाराज चल रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान हरीश रावत के एक्टिव होने से प्रीतम सिंह खासे खुश नहीं थे। तब हरीश रावत के करीबी गणेश गोदियाल को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। जिसके बाद से प्रीतम सिंह नाराज चल रहे थे। प्रीतम सिंह को खुश रखने के लिए गणेश गोदियाल ने अध्यक्ष रहते हुए संगठन में बदलाव नहीं किए थे। यहां तक की अलग से कार्यकारिणी भी घोषित नहीं की। उन्होंने प्रीतम सिंह की बनाई टीम के साथ ही काम किया।
विधानसभा चुनाव हार के बाद गणेश गोदियाल को हटाकर करन माहरा को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गई। ये भी प्रीतम सिंह को नागवार गुजरा। इसके बाद उन्हें जीत के बाद भी पार्टी में कोई बड़ी भूमिका नहीं दी गई। तब कयास लगाये जा रहे थे कि प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है मगर तब कांग्रेस ने यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया। यशपाल आर्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आये थे। यशपाल आर्य के नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने से प्रीतम सिंह नाराज हो गये थे। उसके बाद प्रीतम सिंह को कांग्रेस में कोई बड़ा पद नहीं दिया गया। जिससे प्रीतम सिंह ने कई बार कांग्रेस के कार्यक्रमों से दूरी बनाई। उनकी नराजगी इतनी बढ़ी कि उनके कई करीबियों ने तब कांग्रेस से इस्तीफा भी दे दिया था। हरीश रावत औप प्रीतम सिंह दोनों ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. दोनों के पार्टी में अपने अपने गुट हैं। जिसे लेकर अक्सर खबरें सुनने को आती रहती हैं। हरीश रावत जहां सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं तो प्रीतम सिंह संगठन पर अपनी पकड़ के लिए जाने जाते हैं। जैसे हरीश रावत कुमाऊं मंडल के बड़े कांग्रेसी नेता हैं वैसे ही प्रीतम सिंह गढ़वाल मंडल से आते हैं और वे यहां कांग्रेस से सबसे मजबूत नेता है। इसलिए इन दोनों नेताओं की मुलाकात अहम मानी जा रही है। आगे आने वाले समय में दोनो नेताओ की ये बैठक क्या रंग लाती है ये समय ही बताएगा।