तहसील के धोलीनाग मंदिर में रविवार की रात पंचमी मेले का आयेाजन हुआ। इसमें क्षेत्र के लोगों अपार भीड़ रही। मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ झोड़ा, चाचरी गायन का आयोजन हुआ। मेले का मुख्य आकर्षण चीड़ के छिलके से बनी 22 फीट लंबी मशाल आकर्षण का केंद्र रही। दस किमी पैदल चलकर मण गोपेश्वर के ग्रामीण इसे यहां लाए। इसे बनाने में उन्हें करीब 15 दिन का समय लगता है। इस काम को उनकी यह सातवीं पीढ़ी कर रही है।
रविवार की शाम आठ बजे से करीब मेला आरंभ हुआ जो रातभर चला। लेकिन मेला पूरे शबाब तब पहुंचा जब मण गोपेश्वर के ग्रामीण 22 फीट लंबा चीड़ के छिलके से बनी मशाल को जलाकर लाए। इस जली मशाल से उन्होंने मंदिर की तीन बार परिक्रमा की और उसे मंदिर में चढ़ाया। यह मशाल श्रद्धा के अलावा जाड़े का भी प्रतीक है। मशाल लाने वाला परिवार की यह सातवीं पीढ़ी है। परिवार के लोग इस परंपरा का निर्वाहन कर रहे हैं। मशाल को बनाने में उन्हें 15 दिन लगते हैं। घास के बांधकर इसे बनाया जाता है। इसे बांधने की भी तकनीक मजबूत होती है, तांकि जलती मशाल खुल न पाए। विधायक बलवंत सिंह भौर्याल ने कहा कि मेले से संस्कृति का आदान-प्रदान होता है। इस मौके पर पूर्व जिप अध्यक्ष हरीश ऐठानी, आम आदमी पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय सहित विभिन्न राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता और मेलार्थी मौजूद रहे।