उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उक्त स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 7 (घ) 5 को इसी आशय के साथ जारी किया गया कि सभी सैन्य एवं अर्द्धसैनिक बलों में कार्यरत कार्मिकों के जीवनसाथी अपने परिवार के नजदीक रहकर अपने परिवार बूढे सारा-रासुर एवं बच्चों की देख-रेख कर सके, लेकिन उक्त धारा में सिर्फ सुगम से दुर्गम आवश्यक स्थानातरण में छूट का प्रावधान दिया गया है एवं दुर्गग से सुगम का प्रावधान नहीं होने के कारण उत्तराखंड सरकार की सैनिकों के परिवार के प्रति इस कल्याणकारी सोच का लाभ धरातल पर नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में इन सैन्य एवं अर्द्धसैन्य बलों के कार्मिकों के आश्रित विशेषकर महिलाओं को जिनहें पहली ज्वॉइनिंग ही दुर्गग में मिली है. उनहें सुगम में स्थानान्तरण आने में 15 से 20 वर्ष लग जाते हैं। फलस्वरूप ऐसी महिला कर्मी अपने सास-ससुर, छोटे बच्चों एवं परिवार का छोड़कर दुर्गम में सेवा दे रही हैं, जिससे उनमें अत्याधिक तनाव की स्थिति है, ऐसी महिला कर्मी ना ही अपने बूढ़े सास-ससुर, छोटे बच्चों को समय दे पाती हैं और ना ही अपने सैनिक पत्ति के छुट्टी के समय उनके साथ अपने दुर्गम क्षेत्र में पदस्थ होने के चलते समय व्यतीत कर पाती हैं, तथा 15 से 20 वर्ष बाद जब इनहें दुर्गम से सुगम स्थानान्तरित किया जाता है, तब तक इनके बच्चे मातृत्व की छाव के बगैर बड़े हो चुके होते हैं तथा इसके साथ ही एक सैनिक जिस उम्मीद से अपने बूढ़े माता-पिता को अपनी पत्नी के सहारे घर पर छोड़कर सीमा पर देश की रक्षा हेतु जाता हैं, उनहें भी वह अपने आश्रित की दुर्गम पोस्टिंग के चलते अकेला पाता है।
जब भी देश पर संकट आता है तब यही सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों के जवान सीमा पर दुश्मन की गोली का सामना करते हैं, जिसका ताजा उदाहरण वर्तमान में चल रहे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव/युद्ध है। इन जवानों के जीवनसाथी, पाल्यों एवं परिवार के हितों के बारे में सोचना एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज है।
अतः जल्द से जल्द उत्तराखंड स्थानान्तरण अधिनियम दिनांक 05.01.2018 की धारा 7 (घ) 5 में संसोधन कर सैन्य एवं अर्द्धसैन्य बलों के कार्मिकों के जीवनसाथी को अनिवार्य स्थानान्तरण के तहत् दुर्गम से सुगम स्थानान्तरण में भी छूट प्रदान की जाये, जिससे कि दुर्गम क्षेत्र में पदस्थ राज्य कर्मियों को भी दुर्गम से सुगम स्थानान्तरण का अवसर मिल सकें। इस अवसर पर, आनंद सिंह गढ़िया, दरबान सिंह हरडिया, नारायण सिंह, मोहन कपकोटी, धन सिंह डसीला,मोहन चंद्र लोहनी,रमेश सिंह आदि मौजूद रहे।
