रक्त की हर बूँद जीवन: बागेश्वर में तीन रक्तदाताओं ने महिला की जान बचाई
बागेश्वर, उत्तराखंड।
जिला चिकित्सालय बागेश्वर में भर्ती एक महिला की हालत उस समय नाजुक हो गई जब उसका हेमोग्लोबिन स्तर मात्र 3 ग्राम प्रति डेसीलीटर तक पहुँच गया। परिजनों के चेहरे पर चिंता और अस्पताल में जीवन की डोर बहुत कमजोर हो चली थी। ऐसी गंभीर स्थिति में बागेश्वर रेड क्रॉस टीम के तीन स्वयंसेवक फ़रिश्ता बनकर सामने आए।
हिमांशु चौबे, प्रदीप नगरकोटी और नीरज रावत — इन तीनों ने बिना किसी संकोच के तत्काल रक्तदान कर महिला को नया जीवन दिया। चिकित्सकों ने बताया कि समय पर मिला रक्त ही महिला के जीवन को बचा सका।
रेड क्रॉस के सक्रिय सदस्य और 6बार के रक्तदाता हिमांशु चौबे ने कहा,
> “रक्तदान कोई बड़ा काम नहीं, बल्कि इंसानियत का फर्ज़ है। हम सभी को जब भी मौका मिले, यह नेक कार्य करना चाहिए।”
नीरज रावत, जो कि लगातार सामाजिक कार्यों से जुड़े रहते हैं, कहते हैं,
> “जब आपके रक्त की एक बोतल किसी की सांसें लौटा सकती है, तो इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है?”
प्रदीप नगरकोटी ने युवाओं को विशेष संदेश देते हुए कहा,
> “युवाओं को आगे आना चाहिए। रक्तदान डर नहीं, गर्व की बात है। आज हम दूसरों की मदद करेंगे, कल हमें मदद मिल सकती है।”
रेड क्रॉस बागेश्वर ने इस त्वरित प्रतिक्रिया और समर्पण के लिए अपनी टीम के इन तीनों सदस्यों की सराहना की है।
युवाओं के लिए संदेश:
रक्तदान न केवल एक सामाजिक कर्तव्य है, बल्कि यह मानवता की सबसे सच्ची सेवा है। भारत में हर साल हजारों मरीज रक्त की कमी से जूझते हैं। यदि हर स्वस्थ युवा साल में दो बार भी रक्तदान करे, तो किसी भी जान को समय पर बचाया जा सकता है।
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🩸 “रक्तदान करें, जीवन बचाएं।”
क्योंकि कभी किसी की ज़रूरत आप भी हो सकते हैं।






