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एसओजी और वन विभाग की टीम ने 340.62 ग्राम भालू की तीन पित्ती के साथ तीन अभियुक्तों को किया गिरफ़्तार

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वन विभाग और एसओजी की संयुक्त टीम ने भालू की पित्त के साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिसकी कीमत लगभग 35 लाख रुपये आंकी है। पुलिस पिछले 15 वर्ष से अब तक के वन्य जीव जंतु अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई को सबसे बड़ा मान रही है। एसपी ने टीम को 10 हजार रुपये पुरस्कार देने की घोषणा की है।

पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रहलाद कोंडे ने सोमवार की देर शाम कोतवाली में मामले का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि एसओजी और वन विभाग की संयुक्त टीम चेकिंग अभियान पर थी। ताकुला मार्ग पर पौड़ी बैंड से पहले बन रहे बस स्टाप पर शक होने पर तीन लोगों से पूछताछ की गई। उनसे 340.62 ग्राम भालू की तीन पित्तियां बरामद हुई। जिसकी अनुमानित कीमत स्थानीय बाजार में लगभग 30 लाख रुपये आंकी जा सकती है। तीनों आरोपियों के विरुद्ध 19/39/49. ख/51/56/57 वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 संशोधित 2006 के तहत कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा। एसपी ने कहा कि वह मामले की तह तक जाएंगे। किसने मारा और कहां पित्त पहुंचाई जा रही थी। मामले में केंद्रीय वन्य अन्वेषण आयोग से मदद मिली। उन्होंने बताया कि डिगर सिंह पूर्व में एनडीपीएस एक्ट में दोषमुक्त है, जबकि अन्य आरोपितों का पुलिस आपराधिक इतिहास खंगाल रही है। पूछताछ में पता हुआ कि उच्च हिमालयी वन क्षेत्रों में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों का शिकार कर बाहरी जिलों और राज्यों में तस्करी करते थे। उच्च दामों पर बेचा जाता था।

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी

कपकोट के झूनी गांव निवासी डिगर सिंह पुत्र सूप सिंह 55 वर्ष, खोलियागांव चौंरा निवासी, मनोज उपाध्याय पुत्र रमेश चंद्र उपाध्याय 30 वर्ष और मिकिला खलपट्टा निवासी जगत सिंह पुत्र प्रताप सिंह 52 वर्ष शामिल हैं।

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