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अधिनियम के विरुद्द शासनादेश से कर दिये स्थानांतरण, शिक्षा विभाग पर लगे गंभीर आरोप, अब शिक्षक जाएंगे न्यायालय

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प्रदेश में कुछ समय पहले शिक्षा विभाग ने 4000 के लगभग शिक्षकों के तबादले किए। शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश में तबादला एक्ट के तहत बेसिक, जूनियर हाईस्कूलों और माध्यमिक संवर्ग के शिक्षकों के सुगम से दुर्गम और दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र के स्कूलों में अनिवार्य और अनुरोध के आधार पर बंपर तबादले किए। तबादला पाने वालों में 723 प्रवक्ता और बेसिक के 1361 सहायक अध्यापक शामिल हैं। इसके अलावा गढ़वाल और कुमाऊं में सहायक अध्यापक एलटी के शिक्षकों के तबादले किए गए हैं। उच्च शिक्षा में भी शिक्षक इधर से उधर हुए हैं।

शिक्षा विभाग के द्वारा स्थानान्तरण अधिनियम के विरुद्द शासनादेश की आड़ में कई शिक्षकों को जो सुगम से दुर्गम स्थानांतरण  की सूची में आ रहे थे उन्हें अनियमित छूट प्रदान कर उनसे आगे के शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया गया जिससे अन्य शिक्षकों में रोष व्याप्त है ।  शिक्षकों के अनुसार कुमाऊँ गढ़वाल और राज्य स्तर को मिलकर लगभग 250 से 300 शिक्षक ऐसे है जिन्हें स्थानान्तरण अधिनियम में छूट थी लेकिन शिक्षा विभाग ने स्थानान्तरण अधिनियम को दरकिनार कर मनमाने ढंग से शासनादेश के जरिये शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया जो कि सरासर कानून की अवहेलना है । शासनादेश के जरिये सुगम से दुर्गम में अनिवार्य ट्रांसफर के विरोध मे अधिकाँश शिक्षक न्यायालय की शरण में जा चुके है ।

शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 7 घ के अनुसार स्थानान्तरण से छूट पाने वाली श्रेणियों के अतिरिक्त भी शिक्षकों को अनिवार्य स्थानान्तरण में छूट दी गई है जिनमें ऐसे कई शिक्षक हैं जिनकी सुगम की सेवा स्थानान्तरित शिक्षकों की सेवा से कई अधिक है व दुर्गम की सेवा भी कम है।

साथ ही शिक्षकों ने बताया कि स्थानांतरण एक्ट 2017 का खुला उल्लंघन कर शिक्षा विभाग ने शासनादेश के आधार पर शिक्षा विभागा ने अटल उत्कृष्ट विध्यालय में कार्यरत शिक्षक,एनसीसी प्रभारी शिक्षक,राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में कार्यरत शिक्षक,विभिन्न परियोजनाओं में प्रतिनियुक्ति में गए शिक्षक और सीमैट में कार्यरत शिक्षक जो अनिवार्य पात्रता की सूची में आ रहे थे को अवैध रूप से स्थानान्तरण में छूट दी गई जो कि स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 7 घ  का खुला उल्लंघन है ।

स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 7 घ के अनुसार सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में स्थानान्तरण से छूट के लिए चार श्रेणियाँ बनाई गयी है जो इस प्रकार है :

1-ऐसे शिक्षक जो 55 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिक हो ।

2-ऐसे शिक्षक जिनकी दुर्गम में 10 साल की सेवा पूर्ण हो गई हो ।

3-ऐसे शिक्षक जो रोग ग्रस्त व विकलांग परिभाषित हो ।

4-ऐसे शिक्षक पति पत्नी जिनका एकलौता पुत्र विकलांग परिभाषित हो ।

5-ऐसे सैनिक व अर्ध सैनिक बलों में तैनात कार्मिकों के पत्नी/पति जो शिक्षक हो ।

शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 7 घ के तहत इन पाच श्रेणियों में आने वाले शिक्षकों को छूट प्राप्त है लेकिन शिक्षा विभाग ने मन मर्जी से शासनादेश पारित कर तबादला कर दिया जो कि नियम विरुद्द है ।

स्थानांतरण नियमों के अनुसार  में प्रत्येक वर्ष 31 मार्च अर्थात 31 मार्च 23 तक विभागाध्यक्ष द्वारा कार्यस्थल का चिन्हीकरण व उसे बेवसाइट पर प्रकाशन किया जाना था जो कि शिक्षा विभाग ने नहीं किया गया। और साथ ही नियम 9 के अनुपालन में वास्तविक पात्रता सूची का प्रकाशन भी नहीं किया गया और न ही नियमानुसार विकल्प मांगे गए हैं जिससे साफ पता लगता है कि ट्रांसफर को लेकर विभाग में गड़बड़ी की गयी है ।

शिक्षा विभाग ने स्थानांतरण अधिनियम का उल्लंघन कर मनमाने ढंग से  शासनादेश के जरिये शिक्षकों का ट्रांसफर तो कर दिया जो कि नियम विरुद्ध है और इस शासनादेश के चलते 250 से अधिक शिक्षक सरकार और विभाग के विरोध में उतर आए है और न्याय पाने के लिए  न्यायालय की शरण में जा चुके  है ।

हाल ही में बागेश्वर पहुंचे शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को राजकीय जूनियर हाईस्कूल संघ ने स्थानांतरण प्रक्रिया में अनिमियत्तता को लेकर ज्ञापन भी दिया

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