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प्रकटेश्वर सृजन मंच बागेश्वर में बिखोती के अवसर पर कवि गोष्ठी का हुआ आयोजन

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बागेश्वर: प्रकटेश्वर सृजन मंच बागेश्वर के तत्वावधत में प्रकटेश्वर सभागार में बिखोती त्यौहार के अवसर पर एक काव्यगोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में कवियों ने अपने भावों से शब्दों में पिरोकर अभिव्यक्ति दी।
गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री केशवानन्द जोशी ने की। संचालन डॉ० राजीव जोशी ने किया, गोष्ठी में मंच के अध्यक्ष दीप चंद्र पांडे, गोपाल बोरा, डॉ० राजीव जोशी, डॉ. जितेन्द्र तिवाड़ी , प्रशांत पांडे, डॉ० के. एस. रावत, दिनेश कुमार उपस्थित थे। इस अवसर पर सर्वप्रथम डॉ० गोपाल गोपाल कृष्ण जोशी जी ने सरस्वती वंदना साथ कार्यक्रम का विधिवित प्रारंभ किया।
कवियों द्वारा पढ़ी गई कविताएं –
1. श्री केशवा नंद जोशी जी –
” धै कस धै कस कून कुंने उमर गुजर गे।
के सुधार नि भय जस छी उस ले नि राय।।
2. के. एस. रावत-
‘मधुर मधुर तुम बोलो राजा
मन की बातें खोलो राजा
अपनी बातें बहुत सुनाई
औरों को भी सुन तो राजा।
3. डॉ गोपाल कृष्ण जोशी, –
सबूं दगाड़ करूल मधुर व्यवहारा
देश-देशवासी सब एकै परिवारा।।
देश की खुशि में, छिपि छु खुशि मेरि ।
सदा राष्ट्रसेवा, प्रतिज्ञा छु य मेरि ॥
4. गोपाल बोरा –
मैं कैसे रहूंगी स्वामी, बिन तेल के जैसे बाती ।
वन में रया साथ-साथ बारह बरस दस म्हेन ।।
5. डा. जितेन्द्र तिवारी –
जनता होती जहमत में, तो चेहरे इसके खिलते हैं।
नोट और वोट बैंक, तीर एक – निशाने दो लगते हैं।
6. दीप चन्द पाण्डेय –
“संविधान अक्षुण्ण रहे. यही शपथ लें आज ”
7. प्रशांत पाण्डेय ‘अवधूत’-
“मिठास भरी थी दिल में मिजाज के नमकीन थे
पापा मेरे फूलों के बड़े शौकीन थे।”
8. डॉ०राजीव जोशी –
“हुआ है इश्क में दिल बेक़रार देखो तो
किसी ने छू लिया दिल का सितार देखो तो।”
अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री केशवा नंद जोशी जी ने कार्यक्रम का समापन किया।

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