रविवार को ट्विटर/एक्स पर उत्तराखंड के पहाड़ी समाज के लोगों ने पहाड़ी आरक्षण के पक्ष में जमकर ट्वीट किए। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हजारों ट्वीट के माध्यम से बताया कि उत्तराखंड के पहाड़ी समाज के लिए आरक्षण क्यों आवश्यक है। प्रातः 10 बजे से 11 बजे तक तो इन ट्वीट्स की बाढ़ सी आ गयी थी और #पहाड़ी_आरक्षण हैशटैग खूब चर्चा में रहा।
दरअसल पहाड़ी समाज के कुछ लोगों की मांग है कि उत्तराखंड के पहाड़ियों को भी ओबीसी आरक्षण दिया जाए। हाल ही में बिहार में हुई जातीय जनगणना के बाद और ओबीसी आरक्षण बढ़ाए जाने की मांग के बाद इसे और बल मिला है। ट्वीटर यूज़र्स के अनुसार पहाड़ में ना तो कृषि विकसित हो सकी, न ही उद्योग लगे या लग सकते हैं। अतः सेवा क्षेत्र ही पहाड़ों में रोजगार का साधन है। उसमें भी अब सीटें कम होने और विभिन्न आरक्षण बढ़ते जाने से पहाड़ी समाज के समक्ष समस्या है। प्राइवेट नौकरी के लिए भी अच्छे स्कूल और कॉलेज से पढ़ना आवश्यक है, जहाँ अब प्रवेश में आरक्षण लागू है। अतः पहाड़ी आरक्षण जरूरी हो चुका है।
दावा किया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मुहिम को बल मिलेगा और लोग सड़कों पर उतरकर भी पहाड़ी आरक्षण की मांग करेंगे।
बागेश्वर सैंज के जिला पंचायत सदस्य चंदन रावत ने भी मुहिम के समर्थन में ट्वीट और पोस्टर के माध्यम से पहाड़ी आरक्षण की मांग की है।