बागेश्वर जिला पंचायत अध्यक्ष कौन बनेगा यह तस्वीर अभी साफ नहीं हो पाई है। इसके लिए किसी भी दल के पूरे सदस्य नहीं हैं। इसमें अब निर्दलियों की भूमिका अहम होगी। दिन-प्रतिदिन मुकाबला रोचक होता जा रहा है। मालूम हो कि जिला पंचायत के लिए 19 सदस्य हैं। इस बार 18 सीट पर चुनाव हुआ। एक सदस्य पहले ही निर्विरोध चुना गया। मतगणना के बाद नौ सदस्य भाजपा समर्थित जीते। छह कांग्रेस समर्थित तथा चार निर्दलीय जीते हैं। मतगणना से लेकर आज तक अध्यक्ष के लिए जोड़ तोड़ की राजनीति चल रही है। यदि भाजपा और कांग्रेस से एक भी सदस्य इधर उधर खिसका तो अध्यक्ष बनाना भारी पड़ जाएगा।
ऐसे में अब निर्दलियों की भूमिका अहम हो गई है। एक निर्दलीय सदस्य पर सदस्याता गंवाने का खतरा मंडराया हुआ है। कांग्रेस ने इसकी शिकायता सचिव त्रिस्तरीय निकाय पंचायत चुनाव आयोग से की है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि कुंदन ने तीसरा बच्चा होने की जानकारी छिपाई है। अब उसका दिल्ली में तीसरा बच्चा हो गया है। उसे मतदान से वंचित रखने की मांग की है। यदि आयोग ने उसे मतदान से रोका तो अध्यक्ष बनाने की राह पर कांटे और गहरा जाएंगे। सोमवार को भाजपा की ओर से शोभा टम्टा ने अध्यक्ष व विशाखा खेतवाल ने उपाध्यक्ष के लिए नामांकन कराया है, जबकि कांग्रेस की ओर से सरोज आर्या ने अध्यक्ष के लिए नामांकन कराया है, जबकि निर्दलीय नवीन परिहार ने उपाध्यक्ष के लिए नामांकन किया। नामांकन में भाजपा समर्थित सभी सदस्य मौजूद नहीं थे। जीते सदस्यों में दो सदस्य नहीं पहुंचे थे,जबकि अन्य सालों के चुनावों में ऐसा नहीं होता था।
इस पीछे कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। उधर कांग्रेस समर्थित सदस्य मौजूद रहे। उनके साथ तीन निर्दलीय सदस्य भी दिख रहे थे। यदि वह कांग्रेस को समर्थन करते हैं तो सदस्यों का आंकना नौ-नौ हो जाएगा। यदि क्रॉस वोटिंग हो गई तो किसी का भी बना-बनाया खेल बिगड़ सकता है। अध्यक्ष कौन बनेगा यह तो गर्भ के भविष्य में छिपा है। फिलहाल मुकाबला दिन-प्रतिदिन रोचक होता जा रहा है। इसके पीछे स्पष्ट बहुमत नहीं होना मुख्य कारण है।
