बागेश्वर में आज पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने प्रेस वार्ता आयोजित कर सरकार पर आपदा के प्रति लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि सरकार आपदा के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि जिले में आपदा 1980 से आ रही है। 1982 में मल्ला दानपुर में कर्मी गांव की घटना हुई। जिसमें कई मवेशी मारे गए। 1984 में जगथाना के अलावा पिंडर घाटी में प्राकृतिक आपदाओं ने काफी नुकसान किया। 18 अगस्त 2010 में सुमगढ़ में प्राकृतिक आपदा ने लोगों को हिला कर रख दिया। सरस्वती शिशु मंदिर के 18 स्कूली बच्चे मलबे में दब गए। स्कूल भवनों की भूमि की जांच आज तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है। जिले में कई स्थानों पर स्कूल भवन आपदा की जद में हैं। जिला आपदा की दृष्टि से जोन पांच में आता है। लेकिन ऐसे स्कूल भवनों को चयनित तक नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि मकान ध्वस्त होने पर 1.30 लाख रुपये की धनराशि को बढ़ा कर 10 लाख रुपये करने तथा मानव हानि होने पर 25 लाख रुपये सकरार दे। आपदाओं से सरकार को भी सीखना होगा। विस्थापन के लिए गांव बांट जोह रहे हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। रामगंगा में 2017 में बहा पुल अभी तक नहीं बन सका है। कर्मी में पुशपालन का भवन एक करोड़ से अधिक भवन बना है। उसका एक दिन भी उपभोग नहीं हुआ। वह धंसने लगा है। जिसकी भू-गर्वीय जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि आपदा में जिले को 43 करोड़ रुपये का नुकसान का आकलन है। लेकिन विस्थापन के नाम पर लोगों के साथ छलावा हो रहा है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में आपदा से नुकसान होते रहा है। लेकिन पहली बार आंकड़ों से खेला जा रहा है। यह नुकसान अधिकतर नई सड़कों का है। कहा कि 18 अगस्त को सुमगढ़ घटना को लेकर वह उपवास पर बैठेंगे।
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि आज लगातार पहाड़ी क्षेत्र भूस्खलन की जद में आ रहे है। गांव के गांव इससे प्रभावित हो रहे है। जिले के ही करीब एक दर्जन गांव भारी भूस्खलन की चपेट में आ चुके है। जिनका सरकार विस्थापन भी नहीं कर पाई है। जिस तरह गांव के गांव आपदा से प्रभावित हो रहे है उससे लगता है कि इन सभी क्षेत्रों के अलावा पूरे पहाड़ी क्षेत्र की गंभीरता की जांच करनी चाहिए। जिससे आने वाले दिनों में इन सब चीजों से अपने लोगों और अपने पहाड़ को हम बचा पाए। उन्होंने कहा कि हम जॉन पांच में आने वाले लोग है। हमारे क्षेत्र में हर कोई आज आपदा की जद में आ रहा है। लगातार सड़के टूट रही है। मकानों के मकान टूट रहे है। लेकिन आपदा सहायता के तौर पर जो मुआवजा दिया जा रहा है वो काफी कम है उससे व्यक्ति को कोई लाभ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि बागेश्वर जिले के तल्ला मल्ला और विचला दानपुर बारिश के समय आने वाली आपदाओं से बुरी तरह से ग्रसित है। इसलिए इस क्षेत्र के लिए एक बृहद सर्वेक्षण कर आपदा वाले स्थानों को चयनित कर वहां की बसासत को अन्य जगह विस्थापित किया जाए जिससे जान माल को हो रहे नुकसान की बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार अगर गंभीरता से इन कार्यों को अंजाम नहीं देगी तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।