अपनी धरोहर संस्था के तत्वाधान में आयोजित श्री गोलज्यू संदेश यात्रा देर सायं गोलू मंदिर गरुड़ पहुंची। यहां पहुंचने पर स्थानीय समिति, भक्तों व लोगों ने कुमाउनी परिधानों में सज-धजकर, मंगल तिलक लगाकर व पुष्प वर्षा कर ढोल-दमाऊ के साथ यात्रा का भव्य स्वागत किया। ग्वालदम होते हुए यात्रा गर्भ गोलज्यू मंदिर गरुड़ पहुंची। यहां पूजा अर्चना के बाद देव डांगर अवतरित हुए और भक्तों को आशीर्वाद दिया। इसके बाद श्री गोलज्यू संदेश यात्रा बागेश्वर पहुंची। स्थानीय महिलाओं ने गोलू मंदिर में भजन-कीर्तन प्रस्तुत किए। इस मौके पर आयोजित भंडारे में सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
गोलू देवता को उत्तराखंड में न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। यहां प्रत्येक तीन साल में एक बार श्री गोल्ज्यू संदेश यात्रा निकाली जाती है जो उत्तराखंड के चंपावत जिले से शुरू होती है, यह यात्रा 13 जिलों और 75 मंदिर से होकर चंपावत में ही समाप्त होती है। मंगलवार को यात्रा बागेश्वर पहुंची। स्थानीय लोगों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया। तीन किलोमीटर की लंबी इस यात्रा में उत्तराखंड की धार्मिकता, संस्कृति, पौराणिक धरोहर, रहन-सहन, खान-पान और आभूषण की विशेष झलक देखने को मिलती हैं। यात्रा के महामंत्री भुवन कांडपाल बताया कि श्री गोल्ज्यू संदेश यात्रा उत्तराखंड की संस्कृति और धरोहर को आज की युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का एक माध्यम है।
यात्रा संयोजक उमेश साह ने बताया कि श्री गोल्ज्यू यात्रा के जरिए स्थानीय समस्याओं को उजागर किया जाता है और उनका समाधान करने की कोशिश की जाती है। इस यात्रा के जरिए स्थानीय कलाकारों, विरासतों को पहचाना जाता है और उन्हें रोजगार से जोड़ा जाता है। गोल्ज्यू देवता न्याय के देवता हैं और उत्तराखंड में घर-घर में उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि न्याय न मिलने पर लोग गोलू देवता मंदिर में जाकर अर्जी लगाते हैं और उन्हें न्याय मिलता है। इस दौरान पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गीता रावल,हरीश सोनी,मोहन कांडपाल,कवि जोशी,भगवत सिंह, आदि मौजूद रहे।