प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व विधायक गणेश गोदियाल ने हाल ही में गैरसैंण सत्र के दौरान बढ़े भत्ते और अन्य सुविधाएं लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख रहे हैं। जिसमें वह मांग करेंगे कि विधायकों, पूर्व विधायकों के वेतन, भत्ते और अन्य सुविधा बढ़ाए जाने के लिए कर्मचारी-अधिकारियों की भांति एक नियामक आयोग बनाया जाए।
उन्होंने सोशल मीडिया में एक वीडियो संदेश में कहा कि उत्तराखंड में कई विभागों में राज्य के युवा छह से आठ हजार की नौकरी कर रहे हैं और वेतन बढ़ाने की सालों से मांग कर रहे हैं। राज्य में हर कोने में आपदा की भारी मार है। आपदा राहत राशि नहीं दी जा रही है। ऐसे में विधायकों, पूर्व विधायकों के भत्ते आदि बढ़ाना लोगों में संदेश सही नहीं गया है।
उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक के नाते वह बढ़े भत्ते व अन्य सुविधाएं नहीं लेंगे। वह इस बारे में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख रहे हैं। कांग्रेस विधायक हरीश धामी की पीड़ा को जायज ठहराते हुए गोदियाल ने कहा कि सत्र की अवधि कम से कम 15 दिन होनी चाहिए। ताकि 70 विधायक अपने क्षेत्र की बात रख सकें। नेशनल कांफ्रेंस के साथ कांग्रेस गठबंधन के बारे में सीएम धामी की ओर से राहुल गांधी से पूछे गए सवालों के संबंध में गोदियाल ने कहा कि सीएम धामी राज्य में आपदा, बेरोजगारी व बढ़ते अपराध से लोगों का ध्यान बांटना चाहते हैं। सीएम को जम्मू कश्मीर के बजाए उत्तराखंड पर ध्यान देना चाहिए।
गोदियाल ने कहा कि तीन दिन चले सत्र की यही उपलब्धि सामने आ रही है कि विधायक अपने वेतन, भत्ते खुद बढ़ा दे रहे हैं। गोदियाल ने कहा कि यह भी सच है कि सार्वजनिक जीवन में काम कर रहे लोगों को अधिक संसाधनों की जरूरत होती, लेकिन उसके लिए देशकाल और परिस्थिति देखनी चाहिए। राज्य में आपदा की विभाषिका है। विधायकों, पूर्व विधायकों का वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए यह सही समय नहीं था।