देहरादून। केन्द्रीय रेशम बोर्ड, पी-3 मू बी फा, राष्ट्रीय रेशमकीट बीज संगठन की ओर से किसानों के लिए रेशम पालन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. विक्रम कुमार और निरीक्षक रेशम राजीव चौहान ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. विक्रम कुमार ने “मेरा रेशम, मेरा अभिमान” विषय पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘मेरा’ शब्द स्वाभिमान और गर्व की भावना को दर्शाता है, जबकि ‘हमारा’ केवल साझेदारी का बोध कराता है। उन्होंने किसानों से रेशम उत्पादन को अपनी पहचान और आत्मनिर्भरता से जोड़ने का आह्वान किया।
तकनीकी सत्रों में दी गई व्यवहारिक जानकारी
तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने रेशम पालन के दौरान होने वाली बीमारियों, विशेषकर वाइरोसिस और पेब्रिन, के नियंत्रण और बचाव के उपायों पर विस्तृत जानकारी दी। किसानों को पालन की प्रारम्भिक अवस्था से अंतिम अवस्था तक की सभी प्रक्रियाओं के बारे में बताया गया। इस दौरान कृषकों ने अपनी शंकाएँ और समस्याएँ भी साझा कीं, जिनके समाधान हेतु वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक उपाय और रोकथाम के तरीके सुझाए।
विशेषज्ञों ने किसानों से आग्रह किया कि वे रेशम पालन में वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाएं, ताकि कीटों की जीवितता बढ़ाई जा सके और रेशम उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार हो।
50 से अधिक किसानों की सक्रिय भागीदारी
प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिंहनीवाला और शेरपुर क्षेत्र से आए 50 से अधिक किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन रामू कौशल ने किया।






