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उत्तरायणी मेले में निकली आकर्षक झांकी, उत्तराखंड की संस्कृति की दिखी झलक

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उत्तरायणी मेले पर निकली आकर्षक झांकी में उत्तरखंड की संस्कृति लोगों को देखने को मिली। झांकी में झोड़ा, चाचरी से लेकर चार धाम सहित नंदा राजजात के दर्शन हुए। तहसील परिसर से शुरू होकर झांकी नुमाईशखेत तक पहुंची। यहां झांकी का समापन हुआ।

तहसील परिसर पर विभिन्न स्कूलों की छात्र-छात्राएं व विभिन्न सांस्कृतिक दल पारंपरिक वेशभूषा में एकत्रित हुए। यहां जोहार से लेकर जोनसार तक की संस्कृति देखने को मिली। पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, विधायक पार्वती दास, सुरेश गड़िया, जिपं अध्यक्ष बसंती देव व दर्जा मंत्री शिव सिंह बिष्ट ने हरी झंडी दिखाकर झांकी को आगे बढ़ाया। इसके बाद झांकी तहसील मार्ग, माल रोड, दुग बाजार होते हुए नुमाईशखेत पहुंची। यहां सभी कलकारों ने प्रदर्शन किया और झांकी का समापन हुआ। कोश्यारी ने कहा कि बाबा बागनाथ की यह धरती पावन धरती है। इसी पवित्र धरती से ही 1921 में अंग्रेजों के काला कानून कुली बेगार का अंत हुवा था। उन्होंने कहा कि वेदों में भी सरयू का उल्लेख है। इससे साबित होता है की सरयू का उद्गम स्थल सरमूल ही है। विधायक दास ने कहा कि बागेश्वर का यह मेला सांस्कृतिक, व्यापारिक व राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। कहा कि प्रदेश सरकार मेलों व महोत्सवों के माध्यम से संस्कृति के संरक्षण का कार्य कर रही है। इस मौके पूर्व मंत्री बलवंत भौर्याल, ब्लॉक प्रमुख पुष्पा देवी, जिपं उपाध्यक्ष नवीन परिहार, पूर्व पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष इंद्र सिंह फर्स्वाण, नरेंद्र खेतवाल, दलीप खेतवाल, गोविंद सिंह भंडारी, संजय साह जगाती, आलोक पांडेय, जयंत भाकुनी, भुवन कांडपाल, कुंदन परिहार, दीपक खेतवाल, जिलाधिकारी अनुराधा पाल, एसडीएम व मेलाधिकारी मोनिका, तहसीलदार दीप्ती आर्या, नगर पालिका ईओ हयात सिंह परिहार आदि मौजूद रहे।

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