कपकोट: ठीक 15 साल पहले, 18 अगस्त 2010 को घटित भीषण आपदा ने न सिर्फ़ कपकोट क्षेत्र बल्कि पूरे भारत को झकझोर दिया था। सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ रहे 18 मासूम छात्र-छात्राएँ उस हादसे में विद्यालय भवन के मलबे तले दफन हो गए थे। बुधवार को उनकी 15वीं पुण्यतिथि पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी और अन्य क्षेत्रवासियों ने शहीद स्मारक पहुँचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा में उन्होंने कहा कि यह त्रासदी केवल एक गाँव या विद्यालय की नहीं थी, बल्कि पूरे तंत्र की लापरवाही का नतीजा थी। उन्होंने सरकार से कड़ा सवाल किया कि आज तक नदियों व गधेरों के किनारे चल रहे विद्यालयों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ़्ट करने की ठोस पहल क्यों नहीं हुई। यह बच्चों की सुरक्षा के साथ बड़ा खिलवाड़ है।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान सुमगढ़ भूपेंद्र कोरंगा, ग्राम प्रधान सुरिंग परवीन मटियानी, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष कपकोट गोविंद बिष्ट, दीपक ऐठानी, प्रमोद जोशी, दरबार कोरंगा, भारत कोरंगा, दुर्गा गेराकोटी और गोविंद राम सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। हादसे में अपने बच्चों को खोने वाले अभिभावक—प्रेमचंद्र जोशी, कुंदन पांडा, राम सिंह कुमलटा सहित अन्य पीड़ित परिवार भी नम आंखों से शामिल हुए।
शोकसभा में विद्यालय के विद्वान गुरुजनों ने भी भाग लिया और कहा कि इन 18 मासूम आत्माओं की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। उन्होंने सरकार से माँग की कि तत्काल ऐसे विद्यालयों को चिह्नित कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए।






