सीबीटीएस वुमन टीम का आदि कैलाश रेंज के चिपेदं चोटी पर प्रथम भारतीय आरोहण का रिकार्ड।
बेटी बचाओ, बेटी पढाओ की अवधारणा को प्रेरित करने तथा उत्तराखंड में पर्वतारोहण और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 8 September को मुख्यमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखा कर रवाना किये गये क्लाइम्बिग बियौन्ड द समीटस के 06 सदस्यीय महिलाओ की टीम द्वारा 29th September 2021 को आदि कैलाश रेंज के द्वितीय सबसे ऊंची चोटी चिपेदं चोटी पर सफल आरोहण किया। इस चोटी को पिकौक पीक के नाम से भी जाना जाता है। इस टीम ने 04 October को व्यास घाटी से Darma घाटी को जोडने वाली स्येनो ला पास (5495m) पर भी झण्डा फहराया था। 25th September को टीम द्वारा सेला पास(5150m) का भी सफल आरोहण किया गया था।
टीम लीडर शीतल ने बताया की 20 Sept. को 4750m की ऊचाई पर base कैंप स्थापित किया गया था और 26 Sept. को 5400m की ऊचाई पर कैंप 1 स्थापित किया था. एक दिन rest कर 28 september की रात को सभी सदस्य route open करते हुए 29th Sept. की सुबह के 11:30 बजे समिट पर पहुंचे और तिरंगा लहराया।
क्लाइम्बिग बियौन्ड द समीटस के संस्थापक और पर्वतारोही श्री योगेश गर्ब्याल ने बताया कि ये पहला अवसर है जब किसी भारतीय दल द्वारा इस चोटी पर आरोहण किया गया है. महिलाओं की इस टीम द्वारा “First Indian Ascent” का रिकार्ड बनाया है. CBTS टीम पिछले कुछ सालों से कुमाऊँ हिमालय के आदि कैलाश रेंज पर 6000 m से ऊंची चोटियों और दरों को चिन्हित कर इस क्षेत्र में साहसिक खेलों और पर्वतारोहण को बढ़ावा देने पर प्रयासरत है.
इससे पहले 2014 मे मशहूर ब्रिटिश पर्वतारोही मार्टिन मोरन के साथ माइकल पेज , गॉर्डन स्कॉट द्वारा इस चोटी पर आरोहण किया गया था. मार्टिन मोरन को Kumaon हिमालय मे बहुत रुचि थी और उन्होंने इस क्षेत्र के कई चोटियों पर आरोहण किया था. 2002 से 2014 तक मार्टिन मोरन 4 बार आदि कैलाश रेंज आ चुके थे. 2019 मे नंदा देवी ईस्ट Expedition के दौरान avalanche आने से उनकी मृत्यु हो गई थी.
इससे पहले 2019 मे सीबीटीएस के पाँच सदस्यों के दल ने इस चोटी की रेकी की थी और इसकी समिट अप्रोच की रूप-रेखा तय की गई थी। इस रेकी टीम को लीड खुद एवरेस्ट विजेता श्री योगेश गर्ब्याल द्वारा किया गया था।
चीपेदं चोटी फतह करने वाले सदस्य:
शीतल (टीम लीडर)
कला बढाल
मीनाक्षी राठौर
यादनीकी भिलेरे
ध्रुवी मोदी
द्रौपदी रौंकली
दो सदस्य ममता बिष्ट और दीपिका करान्दे 5600m की ऊंचाई तक पहुंचकर वापस लौट गए।