पिंडारी, कफनी और सुंदरढूंगा जाने के लिए वन विभाग में पंजीकरण कराना जरूरी है लेकिन 73 लोग ग्लेशियर पहुंच गए और वहां फंस गए, लेकिन उनका पंजीकरण करना तो दूर प्रशासन को उनके जाने तक की भनक नहीं लगी। जबकि अभी और कितने लोग गए है ये भी जानकारी जिला प्रशासन के पास नही है।
पिंडर घाटी के ग्लेशियरों की सैर पर जाने के लिए वन विभाग कपकोट में पंजीकरण कराता है, जिसका डाटा पर्यटन विभाग को भेजा जाता है। पर्यटन विभाग इसी डाटा के आधार पर वर्षभर में जिले में आने वाले विदेशी और देशी सैलानियों के आंकड़े जारी करता है।
वन विभाग के कपकोट कार्यालय में पंजीकरण कराने के बाद पर्यटकों से कुछ शुल्क लेकर पर्ची काटी जाती है, जिसकी जांच ग्लेशियर रेंज में कराने के बाद ही पर्यटक ग्लेशियरों की सैर कर सकते हैं। पंजीकरण के आधार पर प्रशासन को पिंडारी, कफनी, सुंदरढूंगा आदि स्थानों पर गए पर्यटकों की सटीक जानकारी रहती है। वहीं प्रशासन को भी पर्यटकों से राजस्व प्राप्त होता है।
पर्यटकों की जानकारी रखने के लिए अपनाई जाने वाली उक्त प्रक्रिया बेहद सरल है, बावजूद इसके संबंधित विभाग इसके लिए गंभीर नजर नहीं रहा, जिसका परिणाम अब दिखाई दे रहा है। तीन दिन से प्रशासनिक अमला सुंदरढूंगा में हताहत लोगों को रेस्क्यू करना तो दूर उनकी लोकेशन तक नहीं तलाश सका है। कफनी ग्लेशियर में भी फंसे पर्यटकों को रेस्क्यू नहीं किया जा सका है।
द्वाली में 34 लोगों के फंसने की बात की जा रही थी, लेकिन रेस्क्यू के समय संख्या 42 पहुंच गई। इससे साफ जाहिर होता है कि ट्रैंकिंग रूटों पर जाने वालों की जानकारी और निगरानी को लेकर प्रशासन कतई गंभीरता से कार्य नहीं कर रहा है। ट्रैकर ग्लेशियरों के लिए रवाना हो गए और इसकी भनक तक सरकारी तंत्र को नहीं लगी। यह गंभीर चूक का मामला है। और जो साल भर जिले मे आने वाले पर्यटकों के आंकड़े है वो भी महज खानापूर्ति ही है। सारे आंकड़े केवल अंदाजे के हिसाब से दिए जा रहे है। जिससे प्रशासन की गम्भीरता पर सवाल उठना लाजमी है। जिलाधिकारी ने कहा अब से सख्त होंगे नियम आगे आने वाले सभी पर्यटकों पर रखी जायेगी खास नजर।