logo

तीसरे दिन भी नहीं हो पाया सुंदरढुगा मे रेस्क्यू, पूर्व विधायक ने रेस्क्यू अभियान पर उठाए सवाल

खबर शेयर करें -

कपकोट ब्लॉक के सुन्दरढूंगा ग्लेशियर में फसे 5 बंगाली पर्यटकों सहित वाछम गाँव के जैकुनी निवासी गाइड खिलाफ सिंह दानू को 3 दिन बाद भी रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। स्थानीय लोगों व 2 दिन तक उस बर्फीले तूफान में फसने के बाद भूखे प्यासे रहने के बाद बचकर आये पोर्टरों ने बताया कि अब किसी के बचने की उम्मीद नहीं है। समय पर प्रशासन द्वारा उनतक मदद मुहैय्या करवाई जाती तो शायद कोई बच भी जाता।
उस बर्फीले तूफान से बचकर आये एक पोर्टर ने बताया कि गाइड खिलाफ सिंह के पास एक वाकी टॉकी था जिसकी लोकल रेंज 5 km की है उसके माध्यम से उन्होंने जातोली के लोगों को 20 की शाम को सूचना दे दी थी। 20 को ही स्थानीय लोगों द्वारा प्रशासन को सूचित कर दिया गया था। 21 को गाइड खिलाफ सिंह के भाई आंनद सिंह, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि चंदन सिंह सहित लगभग 100 स्थानीय लोग उनकी खोज में खाती गाँव से 9Km दूर जातोली तक पहुंच गए थे। लेकिन जब प्रशासन के कर्मचारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि विधायक, जिलापंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख वाछम गाँव के दौउ तोक में पहुंचे तो इन लोगों के द्वारा रेस्क्यू करने गए सभी लोगों को इस विश्वास के साथ वापस बुला लिया की 22 की सुबह हेलीकॉप्टर और sdrf की द्वारा उनका रेस्क्यू किया जाएगा।
यह मालूम होते हुए भी की उच्च हिमालई बर्फीले क्षेत्रों में सुबह 6 बजे से 10 बजे तक ही उड़ान भरी जा सकती है। उसके बाद बादलों के कारण वहां लैंड करना संभव नहीं होता है। दोपहर 2 बजे तक हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू करने की कोई व्यवस्था सरकार और प्रशासन नहीं कर पाया। आज सुबह 9 बजे तक भी हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू करने की कोई सूचना नहीं थी। इस तरह सरकार और प्रशासन का लापरवाह रवैया देखकर लोगों का कहना है कि खुले में लाशें पड़ी होने की वजह से चील कव्वे गरुड़ जंगली मांसाहारी जानवरों ने लाशों को नोच दिया होगा। साथ ही चन्दन सिंह ने बताया कि अब प्रशासन का इतंजार करना संभव नही है हम हम सभी आज करीब 20 लोगो का दल बना चुके है और अपने साथी खिलाफ को ढूढ के ले आएंगे। वही पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिती देखे बिना ही चॉपर से रेस्कयू किया जा रहा है जबकि सुबह 5 से 9 बजे तक ही यहां मौसम सही रहता है। लेकिन चॉपर से करीब 12 बजे बाद रेस्कयू किया जा रहा है जिस वजह से तीन दिनों से चॉपर कुछ काम नही कर पाया है। उन्होंने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिती देखे बिना ही कार्य करने पर समय व धन के फालतू नुकसान की बात कही। उन्होंने कहा कि देरी ज्यादा होने की वजह से अब किसी का बच पाना भी संभव नही है।

Leave a Comment

Share on whatsapp