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बागेश्वर से महिलाएं भी कर रहीं है दावेदारी,राज्य गठन के बाद से अभी तक नही मिला बागेश्वर से किसी भी महिला को प्रतिनिधित्व

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चुनाव नजदीक आते ही दावेदारों की फौज भी बढ़ने लगी है। इस बार आधी आबादी ने भी टिकट के लिए ताल ठोक दी है। राज्य बनने के बाद किसी भी राष्ट्रीय दल ने बागेश्वर सीट से महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया। इस बार बागेश्वर सीट से दोनों दलों से महिलाओं की दावेदारी भी सामने आई है।

हालांकि कपकोट सीट पर किसी भी दल से महिलाओं की दावेदारी फिलहाल सामने नहीं आई है। बागेश्वर सीट पर इस बार कांग्रेस से पूर्व कनिष्ठ उपप्रमुख कांग्रेस महिला सेवादल की जिलाध्यक्ष सुनीता टम्टा ने दावेदारी पेश की है। सुनीता का तर्क है कि महिलाओं की आधी आबादी है। इस बार पार्टी को महिला को टिकट देना चाहिए। बागेश्वर सीट से कांग्रेस के बालकृष्ण, रंजीत दास, सज्जन लाल टम्टा, भैरव नाथ टम्टा भी दावेदारी कर रहे हैं। बालकृष्ण पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।


हालांकि जब बागेश्वर उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तब बागेश्वर सीट से 1969 और वर्ष 1974 में सरस्वती टम्टा विधायक रहीं थीं। राज्य बनने के बाद किसी भी दल ने महिला प्रत्याशी पर दाव नहीं खेला। भाजपा से भी इस बार पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा आर्या भी दावेदारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन है कि इस बार बागेश्वर सीट से पार्टी महिला उमीदवार को टिकट देगी। पार्टी हमेसा से महिलाओ का सम्मान करती है आगे भी करेगी।

भाजपा से तीन बार के विधायक चंदन राम दास सशक्त दावेदार हैं। कपकोट सीट पर कांग्रेस के एकमात्र दावेदार पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण हैं। कपकोट में 13 नवंबर के दौरे पर आए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी फर्स्वाण के पक्ष में जनता से अपील कर चुके हैं। कपकोट सीट पर भाजपा से वर्तमान विधायक बलवंत सिंह भौर्याल सशक्त दावेदार हैं। पूर्व विधायक शेर सिंह गढ़िया, सुरेश गढ़िया भी ताल ठोक रहे हैं। आप के कपकोट से भूपेश उपाध्याय और बागेश्वर सीट से बसंत कुमार का लड़ना तय माना जा रहा है लेकिन उक्रांद समेत सपा, बसपा, उपपा ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं।

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