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उत्तराखंड पुलिस ग्रेड पे मामले में सोशल मीडिया में उठे विरोध के स्वर

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उत्तराखंड पुलिस ग्रेड-पे का मामला तूल पकड़ने लगा है। पुलिस कर्मी सरकार की घोषणा के बावजूद ग्रेड पे की बजाय दो लाख रुपये की एकमुश्त धनराशि को सरकार का झुनझुना बता रहे है।


पुलिस कर्मियों के परिजन मुखर होकर विरोध कर रहे हैं तो सोशल मीडिया में इस संबंध में सरकार के इस निर्णय का विरोध होने लगा है। 2001 के बैच के नाम पर कुछ कर्मियों ने सरकार से परिणाम भुगतने को कहा है तो कुछ ने इसे दान देने की बात कह डाली है। यही नहीं सरकार के निर्णय से छुब्ध होकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिए जाने की मांग संबंधी सूचना भी सोशल मीडिया में डाली गई है।


अब यह विरोध कौन कर रहा है यह तो जांच का विषय है लेकिन सोशल मीडिया में सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है।


सरकार द्वारा आचार संहिता से ठीक पहले ग्रेड-पे से संबंधित पुलिसकर्मियों को झुनझुना पकड़ाते हुए मात्र एकमुश्त दो-दो लाख रुपये देने का शासनादेश जारी कर दिया। यानि यह माना जा रहा है कि अब पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड-पे नहीं मिलेगा।

सरकार के इस फैसले से ग्रेड-पे से प्रभावित परिजनों की आखिरी उम्मीद भी टूटती नजर आयी।
मालूम हो कि इस मामले में बीते 21 अक्टूबर 2021 को पुलिस स्मृति परेड के दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा वर्ष 2001 में भर्ती पुलिस जवानों का 4600 ग्रेड पर लागू करने की घोषणा की गई थी।


मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद महीनों तक शासनादेश जारी नहीं हुआ। मामले में जिसके चलते पुलिस परिजन सड़क पर कई बार उतरे, हर बार उन्हें आश्वासन दिया गया.

मालूम हो कि पुलिस विभाग में वर्ष 2001 में भर्ती और 20 साल सेवारत लगभग 1500 से अधिक पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड-पे करने की मांग लंबे समय से चल रही थी। प्रभावित पुलिसकर्मियों के परिजनों के सड़कों पर उतरने के बाद बीते 21 अक्टूबर 2021 को पुलिस शहीदी दिवस परेड के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्ष 2001 में भर्ती पुलिस जवानों के 4600 ग्रेड पे को लागू करने की घोषणा की। अब ग्रेड पे तो नहीं मिला लेकिन एममुश्त दो लाख की धनराशि दिए जाने की घोषणा को पुलिस कर्मी खुद के साथ धोखा बता रहे है। सोशल मीडिया में इस संबंधी सूचना डालने के साथ ही सरकार के निर्णय के प्रति नाराजगी भी खुल कर जताई जा रही है।

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