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आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति ने निदेशक का किया जवाब तलब

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आयुर्वेद विश्वविद्यालय उत्तराखंड और आयुर्वेद निदेशालय के बीच पिछले काफी लंबे समय से कम आसान चढ़ा हुआ है और इस पूरे मामले में सरकार तथा शासन मुख दर्शक बना हुआ है पिछले दिनों आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद को लेकर अरुण कुमार त्रिपाठी ने प्रभारी कुलसचिव राजेश कुमार राणा को मूल तैनाती पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए आदेश दिया था क्योंकि शासन की ओर से डॉ मृत्युंजय कुमार मिश्रा को निलंबन अवधि समाप्त होने के बाद कुलपति पद पर बहाल कर दिया गया है।

इसके जवाब में आज प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार ने उल्टा कुलपति के माध्यम से डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी निर्देशक आयुर्वेद निदेशालय उल्टा जवाब तलब कर दिया है कुलपति की ओर से निर्देशक डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी को पत्र लिखते हुए राजेश कुमार ने डायरेक्टर को अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी है अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि कार्यवाहक निदेशक का पदभार ग्रहण करने से पूर्व डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा विश्वविद्यालय की अनुमति नहीं दी गई है इसके अलावा गुरुकुल परिसर में प्रचार के तौर पर छात्रों का शोध कार्य भी प्रभावित हो रहा है कुलसचिव ने निर्देशक पर लगाने का भी जवाब तलब किया है और कहा कि निर्देशक सप्ताह में शनिवार के दिन गुरुकुल परिसर हरिद्वार में आकर पूरे सप्ताह की लगाते हैं जो अशोभनीय है और गैरकानूनी है 3 दिन के अंदर आख्या मांगते हुए प्रभारी कुलसचिव ने आयुर्वेद निर्देशक को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है गौरतलब है कि पिछले काफी लंबे समय से विद्यालय तथा अधिकारियों की आपसी लड़ाई का अखाड़ा बना हुआ है छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है साथ ही विभागीय कार्य प्रवाहित हो रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय सेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले राजेश कुमार शासन मूल तैनाती स्थल पर नहीं भेजें पा रहा है वहीं कुलपति भी आयुर्वेद निर्देशक को शासन के संरक्षण के चलते वापस ग्रुप में नहीं भुला पा रहा है कुल मिलाकर इस पूरी लड़ाई में नुकसान छात्रों और आम जनमानस का हो रहा है सरकार की छवि भी खराब हो रही है वही देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले समय में क्या रूप लेती है।

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