यूकेएसएसएससी में 2016 ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने आयोग के तीन पूर्व अधिकारी आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को किया गया है। जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है। यह इस भर्ती परीक्षा प्रकरण में अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
बता दें कि 2016 VPDO भर्ती के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री धामी के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेजी दिखाई। मुख्यमंत्री धामी पिछले दिनों भर्तियों पर उठ रहे सवाल के जवाब देते हुए कहा था कि वो अपने युवा भाई-बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है, उसे वे जड़ से मिटा देंगे। इसी कड़ी में VPDO भर्ती में दोषियों के खिलाफ यह कार्रवाई करते हुए धामी सरकार ने बड़ी लकीर खींच दी है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई। यह परीक्षा प्रदेश के सभी 13 जिलों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई। इस परीक्षा में कुल 87,196 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया। वहीं, 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था।
वहीं इस परीक्षा में धांधली की विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2017 में जांच समिति गठित की गई थी। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने इस परीक्षा परिणाम को अनियमितताओं के पुष्टि के बाद निरस्त करने के आदेश दिये थे। जिसके बाद इस परीक्षा धांधली की जांच 2019 में विजिलेंस को सौंपी गई। जिसके बाद इस मामले में विजिलेंस की ओर से धारा 420/468/467/120B आईपीसी व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई थी।
शासन से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस द्वारा इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। वहीं 2020 से 2022 तक इस मामले की जांच विजिलेंस ही कर रही थी। इस भर्ती में धांधली के खिलाफ लगातार उठ रहे सवालों के बाद अगस्त महीने में मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच एसटीएफ को सौंपी गई। जिसके बाद से एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही थी। एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए सूबत इकट्ठा किये गए और पूर्व में जांच कमेटी द्वारा इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को FSL भेजा गया था। FSL से OMR शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी।
वहीं इस जांच के दौरान एसटीएफ ने पाया कि इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था। वहीं जांच में अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों को एसटीएफ ने चिन्हित करके उनके बयान भी दर्ज किये हैं। साथ ही इस जांच के दौरान कई अहम गवाहों के बयान न्यायालय में भी दर्ज कराए जा चुके हैं। जो केस की अहम सबूत हैं। इस मामले में एसटीएफ ने पूर्व में तीन अभियुक्त मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद एसटीएफ पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन अध्यक्ष UKSSSC डॉ रघुवीर सिंह रावत तत्कालीन सचिव UKSSSC मनोहर सिंह कन्याल और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक UKSSSC राजेंद्र सिंह पोखरिया को गिरफ्तार किया है। जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है।