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द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के खुले कपाट।

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पंच केदारों में प्रसिद्ध द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट खुले।


रुद्रप्रयाग। द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट आज विधि-विधान से खुल गये है‌ । यात्रा के लिए बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ने तैयारियां की हैं। मंदिर को फूलों से सजाया गया। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मद्महेश्वर के कपाट खुलने के अवसर पर श्रद्धालुओं को बधाई दी है।

कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू होने के अंतर्गत मद्महेश्वर की उत्सव डोली बीते शुक्रवार 19 मई को पूजा अर्चना तथा नये अनाज का भोग लगने के बाद विधि-विधान से पंचकेदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में स्थापित हुई थी। 20 मई प्रात: उत्सव डोली श्री मद्महेश्वर धाम के लिए प्रस्थान होने के अवसर पर रावल भीमाशंकर लिंग की उपस्थिति में मद्महेश्वर जी के पुजारी बागेश लिंग ने पूजा अर्चना संपन्न कर मद्महेश्वर मंदिर के लिए विदा किया। वहीं मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने यात्रा तैयारियों के लिए आदेश जारी किये है। उल्लेखनीय है कि अब छ: माह ग्रीष्मकाल में द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर जी अपने समुद्र तल से 3470 मीटर ऊंचाई पर स्थित मूल मंदिर में दर्शन देंगे। मंदिर तक पहुंचने के लिए रांसी से श्रद्धालु जन अधिकांशतः 16 किमी पैदल यात्रा करते है।
मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 20 मई को द्वितीय केदार बाबा मद्महेश्वर की विभिन्न स्थानों पर भक्तों को दर्शन देते हुए प्रथम पड़ाव रांसी पहुंची थी। 21 मई को डोली रांसी से रात्रि प्रवास हेतु गोंडार गांव पहुंची, आज प्रात: 22 मई को मद्महेश्वर जी की डोली गोंडार से मद्महेश्वर मंदिर पहुंची तथा 11 बजे पूर्वाह्न को मद्महेश्वर मंदिर के कपाट तीर्थयात्रियों को दर्शनार्थ खुल गये। पुजारी बागेश लिंग ने कपाट खुलने की प्रक्रिया संपन्न की। इस अवसर पर प्रधान वीर सिंह रावत, यात्रा प्रभारी रमेश‌ नेगी एवं दीपक पंवार सहित स्थानीय गांवों के लोग, जिला प्रशासन के प्रतिनिधि, वन विभाग के कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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मदमहेश्वर धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यहां जाने के लिए रांसी तक मोटर मार्ग है। उखीमठ से आप रांसी वाहन से पहुंच सकते हैं। मदमहेश्वर जाने के लिए सड़क मार्ग का रांसी रुद्रप्रयाग जिले का आखिरी गांव है। रांसी से मदमहेश्वर मंदिर जाने के लिए करीब 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। मदमहेश्वर का पैदल मार्ग चढ़ाई वाला होने के साथ सुस्जित है। मदमहेश्वर के पैदल मार्ग में गोंदहार, मैखम्बा चट्टी समेत अनेक छोटे गांव मिलते हैं।

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