logo

एक साल बाद भी नहीं भरे जोशीमठ में आई आपदा के जख्म
जल प्रलय ने कई परिवारों से छीन लिया था अपनों का साथ

खबर शेयर करें -

जोशीमठ ऋषि गंगा में अाई आपदा के आज एक साल हो गए है ,इस राष्ट्रीय प्राकृतिक और देवीय आपदा ने भारी से भारी तबाही मचाई थी, जिसके घाव आज भी हरे है, 7 फरवरी की सुबह आयी जल सुनामी ने पूरे उत्तराखंड ही नही भारत को हिला कर रख दिया था। ऐसी त्रासदी सदियों में एक बार आती है। आज इस जल प्रलय को एक साल पूरे हो गए है,। आज भी इस आपदा की याद आती है तो आपदा प्रभावितों सहित प्रत्यक्षदर्शियों की रूह कांप जाती है। कैसे चटख धूप साफ सुहावने मौसम में प्रकृति का खौफनाक चेहरा सामने आया, ऋषि गंगा में ग्लेशियर टूटने से शैलाब उमड़ पड़ा।


एक साल का लंबा अंतराल बीतने पर भी शासन-प्रशासन व जलविद्युत कंपनियां तो अभी तक इस आपदा से शायद कोई सबक लििया ही होगा , आपदा का लंबा अरसा बीत जाने के बाद लगता है सब बेपरवाह होकर अब शान्त रूप में बह रही धौली व ऋशि गंगा के समान ही बेपरवाह हो गए हैं कीं अब सभी को यकींन  हो गया शायद कि प्रकृति अब भविष्य में कोई रोद्र रूप नही दिखायेगी,  लापरवाह महातबों के बीच अब पहाडी वासिंदों को और चौकन्न रहने की जरूरत है इस जलप्रलय को याद करते ही आज भी रैणी, सुभांई, तपोवन, ढाक समेत आस पास के दर्जनों गांवों के लोगों की आंखें नम हो जाती है, एक साल बाद भी कई गांव के बुजुर्गों की पथराई आंखें तपोवन डेम की ओर देख जाने क्या ढूंडती रहती हैं तो कुछ आंखें अकसर वल्ली रैंणी से पल्ली रैंणी के ओर जाते समय सहसा उस जगह को देख ठिठक जाती है जहां कभी 13 मेगावाट की ऋशि गंगा पावर प्रोजैक्ट हुआ करता था जिसका अब नामोनिशां तक नहीं है।

रैंणी वल्ली, पल्ली, पैंग मुरंडा, जुवाग्वाड, जुगजू, सुभांई, तपोवन, ढाक, बडागांव के वासिंदे आज भी धौली व ऋषि गंगा के किनारे जाते समय सिहर उठते हैं पर हाय री किस्मत इन सभी गांवों की कास्तकारी इन्हीं नदी घाटियों से जुडी है जो एक दिन काल का रूप लेकर कई जवानियों को निगल गई थी।


07 सात फरवरी 2021 को सुबह करीब सवा दस बजे वल्ली एवं पल्ली रैंणी के बीचों बीच बहने वाली ऋशि गंगा में बने 13 मेगावाट के पावर प्रोजैक्ट से लगभग 10 किमी उपर रौंठी ग्लेशियर का एक बडा हैंगिंग ग्लेशियर टूटने से एक ऐसा शैलाब आया जिसने उसके रास्ते में आने वाले बोल्डर, सैकडों पेड, बडे भू भाग को काटकर बहाता हुआ रैंणी पहुंचा जहां से तबाही का जो आलम शुरूहुआ वह तपोवन एनटीपीसी प्रोजैक्ट तब जारी रहा। इस सैलाब में सबसे पले ऋषि गंगा पावर प्रोजैक्ट मलबे में दफन हो गया उसके बाद और तपोवन जल विद्युत परियोजना के बैराज और टनल में मलबा घुस गया ,साथ ही परियोजना के कई भवन, मशीनें सब मलवे की भेंट चढ गई। रैंणी में बीआरओ का हेवी मोटेबल पुल, रैंणी पल्ली और जुगजू को जोडने वाला पुल, जोंज के अतिरिक्त तपोवन भंग्यूल को जोडने वाला पुल बह गया। जिस कारण से महीनों तक ग्रामीण मुख्य धारा से कटे रहे। प्रषासनिक आंकडों के अनुसार इस आपदा में 206 लोग लापता हो गए थे। अभी तक 135 शव और मानव अंग बरामद हुए थे। शासन की ओर से मृतकों के आश्रितों को 7 लाख रुपये मुआवजा भी दे दिया गया है। आपदा को एक वर्ष का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक भी रैणी क्षेत्र में आपदा के जख्म हरे हैं आपदा के बाद से रेणी में लगातार कटाव बढ रहा है यहां तक की बार्डर हाईवे भी लगातार धस रहा है जिस कारण ग्रामीण परेशान हैं। हाईवे का स्थाई ट्रीटमैंट अभी तक नही हो पाया है, गांव में दरारें भी बढ रही है।

रैणी गांव के ग्राम प्रधान भवान सिंह राणा और पल्ला रैणी की प्रधान शोभा राणा, सरपंच संग्राम सिंह, घाटी के प्रेम बुटोला, ठाकुर राणा, संग्राम सिंह कहते हैं रैंणी , पैंग, मुरंडा , जुगजू, जुवाग्वाड, बनचुरा आदि के पैदल रास्ते अभी भी क्षतिग्रस्त पड़े हैं। ऋषि गंगा नदी के साथ ही धौली नदी के किनारे बाढ़ सुरक्षा कार्य आज तक षुरू नही हो सका है। वहीं नगर पालिका जोशीमठ के अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार कहते हैं कि जोशीमठ पालिका अंतर्गत प्रथम प्रयाग विष्णू प्रयाग व इसका झूला पुल भी इस आपदा की भेंट चढ गया था, आज भी पहला प्रयाग बदहाल है, जिसे पुराने रूप् स्वरूप् में लाने में कई वर्ष का समय लग सकता है, कहते हैं कि विष्णू प्रयाग को पुनः ठीक करना बडी चुनौती है। बता दें कि इस जल प्रलय के दौरान भारी तादात में मछलियां पानी के सैलाब में आने से तड़प-तड़प कर मर गई थी, जिसके बाद से अभी तक नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, लंगासू, छिनका और चमोली बाजार में मछली का कारोबार पुराने रूप में नही पहुंच पाया है तो वहीं पूरे जोशीमठ नगर में पिछले डेढ महीने से दरारें आने लगी है 20 से अधिक मकान जमीदोज की कगार में पहुंच गए हैं।
आपदा के एक साल बाद भी एनटीपीसी अलकनन्दा का जलस्तर में बढौतरी नापने के लिए कोइ संयत्र नही लगा पायी है। भले ही कंपनी के जीएम आरपी अहिरवार कहते हैं कि ऋषी गंगा व अलकनन्दा में पांच सैंसर लगाये जाने वाले हैं , लेकिन क््यया जाने ये कब लग पायेंगे। एनटीपीसी ने फिलहाल नदियों के जलस्तर पर नजर रखने के लिए सुरांईथोटा, रैणी और गोविंदघाट ,तपोवन में कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जो 24 घंटे नदियों के जलस्तर पर नजर रखे हुए हैं। एनटीपीसी के जीएम कहते हैं कि उनके 140 संविदा मजदूर कर्मचारी इस आपदा में लापता हुए थे जिनमें से 135 के षव मिल गए हैं व एचआरटी में 5 लोगों के मिलने की और उम्मीद है। एचआरटी टनल जिसमें 2 किमी मलवा भर गया था अभी तक मात्र 300 मीटर ही साफ हो सकी है। वहीं एचएफटी टनल आधी साफ हो चुकी है। जीएम आरपी अहिरवार कहते हैं कि कंपनी द्वारा विविध ऐजैन्सीयों से कराये गए अध्ययन में यह पता चला है कि ऋशि गंगा जलप्रलय की तीव्रता हीरोसिमा परमाणू बंम विस्फोट की तीव्रता से दस गुना अधिक थी। एक वर्श का समय पूरा हुआ, कई आंखें  पथरा गई, कई घर सूने हो गए, तो कहीं एकमात्र कमाने वाला जाने कहां चला गया। समय का पहिया धीरे धीरे घुमने के साथ ही कंपनी ने भी अपने काम धीरे धीरे षुरू कर दिए हैं, जीवन फिर से मुख्य धारा में आने की कवायद करने लगा है, लेकिन यह त्रासदी पहाड वासियों को बहुत कुछ समझा गयी एक बडी कीमत के साथ। अब यह तो आने वाला समय ही बतायेगा कि पहाड और पहाडियत ने इस त्रासदी से कितना सीखा।

Leave a Comment

Share on whatsapp