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मारपीट और गालीगलौज के दोषियों को जिला न्यायालय ने एक-एक साल की सुनाई सजा

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बागेश्वर। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) मंजु सिंह मुंडे की अदालत ने गालीगलौज, मारपीट कर जान से मारने की धमकी देने के दो दोषियों को एक-एक साल की सजा सुनाई है। उन्हें दस-दस हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। अर्थदंड जमा न करने पद दोनों को एक-एक महीने का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।

मामला पांच अक्तूबर 2021 का है। उस रात करीब आठ बजे ड्यूटी के दौरान घिंघारुतोला के मूलवासी बिलौना के हाल निवासी उपनल कर्मी नीरज सिंह नगरकोटी और अयारतोली निवासी चालक संजय सिंह भोज ने 81 यूके बटालियन एनसीसी बिलौना में तैनात सूबेदार मेजर हुमराज श्रेष्ठ से गालीगलौज कर धक्कामुक्की की। जान से मारने की भी धमकी दी। इसकी एफआईआर सूबेदार मेजर श्रेष्ठ ने कोतवाली में दर्ज कराई। पुलिस ने धारा 323, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया और विवेचक मीना रावत ने नौ जुलाई 2021 को न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया। पत्रावली और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद न्यायालय ने माना कि वादी लोकसेवक पर ड्यूटी के दौरान हमला हुआ है। न्यायालय ने आरोपियों को पहली तीन धाराओं में दोषमुक्त कर अन्य धारा में दोषी पाया।

मारपीट के मामले में आरोप पत्र धारा 323, 504, 506 के तहत दर्ज थे लेकिन न्यायालय ने धारा 353 के तहत सजा सुनाई। न्यायालय ने कहा कि धारा 353 आईपीसी 1860 में लोकसेवक को अपने कर्तव्य निर्वहन से भयभीत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए इस धारा का प्रावधान किया गया है। धारा 222 आईपीसी 1973 का हवाला देते हुए कहा कि इस धारा के प्रावधान के अनुसार यदि आरोपी पर ऐसे अपराध का आरोप है जिसमें कई विशिष्टियां हैं और जिसमें से केवल कुछ के संयोग से छोटा अपराध साबित होता है लेकिन शेष विशिष्टियां साबित नहीं होती हैं तो उस छोटे अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जा सकता है, भले ही आरोपी पर उस छोटे अपराध का आरोप न लगाया गया हो। न्यायालय ने कहा कि अभियोजन ने यह बात बखूबी सिद्ध की है कि वादी लोकसेवक की श्रेणी में आता है और वह सरकारी सेवक है। अभियोजन पक्ष की ओर से नामिका अधिवक्ता मोहन राम आर्या ने पैरवी की।

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