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कैबिनेट मंत्री के हस्तक्षेप के बाद खुलेगी चाय फैक्ट्री,फैक्ट्री खुली तो मिलेगा तीन हजार किसानों रोजगार

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कौसानी में छह वर्ष से बंद पड़ी चाय फैक्ट्री के खुलने की उम्मीद है। जिसके लिए टी-बोर्ड ने कदमताल शुरू कर दी है। जिले से कैबिनेट मंत्री बनने के बाद यह पहला एतिहासिक कदम है। जिससे कौसानी क्षेत्र के लगभग तीन हजार किसानों को परोक्ष रूप में लाभ मिलेगा। लेकिन फैक्ट्री कब तक चलेगी, इस पर अभी बादल छंटे नहीं हैं। फैक्ट्री का संचालन प्राइवेट स्तर से होता है। जबकि टी-बोर्ड स्वयं संचालित करने की बात कर रही है। अलबत्ता फैक्ट्री के खुलने से विश्व प्रसिद्ध कौसानी की चाय को फिर से पहचान मिलने की उम्मीद बांधे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। वर्ष 1994-95 में कुमाऊं मंडल विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम में चाय प्रकोष्ठ की नींव रखी। लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में 211 हेक्टेयर भूमि का चयन चाय के बागान के लिए हुआ। जिसमें 50 हेक्टेयर भूमि पर चाय बागान विकसित किए। 2001 में व्यावसायिक चाय बनाने की तैयारी हुई। चाय प्रकोष्ठ ने एक निजी कंपनी गिरीराज को कौसानी में चाय की फैक्ट्री लगाने के लिए आमंत्रित किया। सात जून 2001 को हुए एमओयू के मुताबिक, अनुबंध अगले 25 वर्ष तक था। चाय फैक्ट्री लगाने का 89 प्रतिशत खर्चा गिरीराज कंपनी को उठाना था। 2002 में 50 हेक्टेयर में विकसित चाय बागान से 70 हजार 588 किलोग्राम कच्ची पत्तियां उत्पादित हुईं। लगभग 13 हजार 995 किलो चाय तैयार हुई। इसे उत्तरांचल टी के नाम से बाजार में उतारा गया। 2004 में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड का गठन किया। 2013 तक बोर्ड ने 211 हेक्टेयर भूमि में चाय का उत्पादन कर 2.50 लाख किलो कच्ची पत्तियां कंपनी को उपलब्ध कराईं। जून 2014 को फैक्ट्री ने दम तोड़ दिया। टी-बोर्ड के डायरेक्टर हरपिदर सिंह बबेजा ने बताया कि बंद पड़ी चाय फैक्ट्री को खोलने का निर्णय लिया गया है। जिस पर काम शुरू हो गया है। कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के साथ बैठक भी हुई थी। फैक्ट्री को टी-बोर्ड संचालित करेगा। जल्दी ही चाय बागान कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। चाय बोर्ड के निदेशक ने वार्ता में कर्मचारियों को इसका आश्वासन दिया। चाय बागान दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मचारी संघ ने भी चाय बोर्ड के निदेशक के साथ वार्ता की। वार्ता में संघ के पदाधिकारियों ने वेतन बढ़ोतरी व पद स्वीकृत कराना समेत अनेक समस्याओं पर वार्ता की। निदेशक ने उन्हें शीघ्र समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया।

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