उपनल कर्मचारीयो के संघर्ष की बड़ी जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए प्रदेश में कार्यरत 25 हजार उपनल कर्मचारीयो के नियमितीकरण के रास्ते खोल दिए हैं।
राज्य सरकार ने वर्ष 2003 में विभागीय संविदा समाप्त कर दी थी। इसके बाद उपनल ही एकमात्र ऐसी एजेंसी थी, जिसने मानकों के मुताबिक कार्मिकों की भर्ती की गई। उपनल के माध्यम से तैनात कार्मिकों ने समय-समय पर नियमितीकरण की मांग उठानी शुरू कर दी थी।
नैनीताल हाई कोर्ट ने वर्ष 2018 में उपनल कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने का आदेश दिया था। साथ ही नियमावली बनाने तक कर्मचारियों को समान कार्य समान मानदेय देने को कहा था। लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
उसी दौरान सरकार ने राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) से 138 कर्मचारी निकाल दिए थे। इस मामले में भी हाई कोर्ट के रुख के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया था।
तब उपनल कर्मचारी महासंघ ने सरकार से मांग की थी कि कुंदन सिंह बनाम राज्य सरकार में दायर एसएलपी को वापस ले लिया जाए। हालांकि, इस मामले में सरकार की पैरवी जारी रही। अब सुप्रीम कोर्ट ने 25 हजार कर्मचारियों के हितों से जुड़े मामले में सरकार को झटका दिया है।
ऐसे में उपनल कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होने की उम्मीद बढ़ गई है। विभिन्न विभागों में उपनल के माध्यम से तैनात कर्मचारियों के लिए यह आदेश उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।