बागेश्वर वन विभाग में लघु वन उत्पाद एवं वन आधारित आजीविका विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कपकोट के शामा और पिंडर घाटी के 50 से उत्पादकों ने भागीदारी की। उन्हें वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए समुुदाय को जागरुक करने के लिए प्रेरित किया गया।
गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए डीएफओ हिमांशु बागरी ने कहा कि लघु उत्पाद का दोहन वैज्ञानिक और संतुलित तरीके से किया जाना चाहिए। कहा कि हिमालयी क्षेत्र जैव विविधता से परिपूर्ण है, इसके संतुलित दोहन पर ध्यान देकर ही आने वाली पीढ़ी भी इसका लाभ ले पाएगी। उन्होंने लघु उत्पाद से जुड़ी जानकारी और प्रशिक्षण विभाग से प्राप्त करने को कहा। हार्क के मुख्य कार्यक्रम प्रबंधक शैलेश पंवार ने कहा कि वनों की उपलब्धता सुखदाई जीवन का सूचक है, वनों को महिलाओं का मायका भी कहा जाता है। आदिकाल से वनों के प्रति लोगों का लगाव रहा है, जो वर्तमान समय में कम होता जा रहा है। वनों के संवर्धन के लिए इन्हें आजीविका से जोड़का कारगर कदम है। कार्यशाला के संसाधन व्यक्ति एनबी अवस्थी और दिनेश चंद्र पांडेय ने जिले में लघु वन उत्पाद की अपार संभावनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हार्क के कार्यक्रम प्रबंधक जगदंबा प्रसाद ने संस्था की ओर से कराए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।