बागेश्वर/नैनीताल।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले में रिजॉर्ट और होटल मालिकों द्वारा सरकारी भूमि पर किए गए अवैध कब्जों को लेकर राज्य प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिलाधिकारी बागेश्वर, राजस्व, लोक निर्माण विभाग (PWD) समेत अन्य सभी संबंधित विभागों की संयुक्त कमेटी बनाकर नौ माह के भीतर अतिक्रमणों की सुनवाई कर कार्रवाई सुनिश्चित करें और न्यायालय में प्रगति रिपोर्ट पेश करें।
यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बागेश्वर निवासी गोपाल बनवासी द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिकाकर्ता ने बताया कि बागेश्वर, गरुड़, कौसानी और अन्य पर्यटन स्थलों पर 20 से अधिक रिजॉर्ट और होटल मालिकों ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। उन्होंने अपने रिजॉर्टों तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक भूमि पर सड़कें भी खुदवा दी हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधनों और सरकारी परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचा है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, अगस्त 2024 में संबंधित विभागों को शिकायत दी गई थी, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि यह सभी कब्जेदार प्रभावशाली और रसूखदार लोग हैं, जिन पर प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं।
हाईकोर्ट ने प्रशासन की निष्क्रियता को गंभीरता से लिया और समयबद्ध कार्रवाई का आदेश देते हुए यह भी कहा कि यदि तय समय-सीमा में अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो जिम्मेदार अधिकारियों पर व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाएगी।
प्रशासन की अगली जिम्मेदारी:
संयुक्त जांच कमेटी का गठन
प्रत्येक कब्जे की निष्पक्ष सुनवाई
सरकारी भूमि को चिन्हित कर अतिक्रमण हटाना
न्यायालय को हर तिमाही प्रगति रिपोर्ट देना
क्या है बड़ा सवाल?
यह मामला उत्तराखंड के पर्यावरणीय और पर्यटन संतुलन से भी जुड़ा है। एक ओर राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति बना रही है, वहीं दूसरी ओर कानून तोड़कर बन रहे ये रिजॉर्ट नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि बागेश्वर प्रशासन कोर्ट के निर्देशों का कितना ईमानदारी से पालन करता है और रसूखदारों पर कार्रवाई कर पाता है या नहीं।
यदि आप भी किसी अतिक्रमण की जानकारी रखते हैं तो उसे जिला प्रशासन के साथ साझा कर सकते हैं। अब न्यायालय खुद इस पूरे मामले की निगरानी कर रहा है।






