logo

पीएम मोदी ने किया देश के नए संसद भवन का उद्घाटन।

खबर शेयर करें -

पीएम मोदी ने आज नए संसद भवन का उद्घाटन कर ऐतिहासिक राजदंड (सेंगोल) को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया।

पीएम मोदी ने नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच गणपति अनुष्ठान किया। पीएम ने राजदंड को दंडवत प्रणाम किया और हाथ में पवित्र राजदंड लेकर तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया। इसके बाद नादस्वरम् की धुनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी राजदंड को नए संसद भवन लेकर गए और इसे लोकसभा कक्ष में अध्यक्ष के आसन के दाईं ओर स्थापित किया।

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, एस. जयशंकर और जितेंद्र सिंह, योगी आदित्यनाथ सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ कर्मचारियों को शॉल और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर एक सर्वधर्म प्रार्थना भी आयोजित की गई।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तरकाशी यमुनोत्री हाईवे पर पिकअप वाहन खाई में गिरा, तीन लोगों की हुई मौत

नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है जो 64,500 वर्ग मीटर में फैली हुई है। इस इमारत के तीन मुख्य द्वार ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं इसमें विशिष्ट जन, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार प्रवेश करेगें। नए भवन के लिए उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई है। इमारत में इस्तेमाल सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई थी। जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से खरीदा गया था।

केसरिया हरे पत्थर को उदयपुर से तो लाल ग्रेनाइट को अजमेर के पास लाखा से और सफेद संगमरमर को राजस्थान के अंबाजी से खरीदा गया है। लोकसभा और राज्यसभा के कक्षों में फॉल्स सीलिंग के लिए स्टील का ढांचा दमन और दीव से मंगाया गया है जबकि नई इमारत का फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था।

यह भी पढ़ें 👉  अपर सचिव सोनकर ने जिले में योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन पर दिया जोर

इमारत में पत्थर की जाली का काम किया गया है, जिसमें राजस्थान और उत्तर प्रदेश का योगदान है। अशोक स्तंभ के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से मंगाई गई थी। वही लोकसभा और राज्यसभा कक्षों की विशाल दीवारों और संसद भवन के बाहरी हिस्से में लगे अशोक चक्र को मध्य प्रदेश के इंदौर से खरीदा गया था। नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए कंक्रीट मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा के चरखी दादरी से एम-सैंड यानी निर्मित रेत का उपयोग किया गया।

एम-सैंड को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि यह बड़े कठोर पत्थरों या ग्रेनाइट को कुचलकर निर्मित होता है न कि नदी के तल में निकर्षण द्वारा। निर्माण में इस्तेमाल फ्लाई ऐश ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगाई गई थीं जबकि पीतल के काम और पूर्वनिर्मित खाइयां गुजरात के अहमदाबाद से थीं। फ्लाई ऐश एक बारीक पाउडर है जो तापीय बिजली संयंत्रों में कोयले के जलने से उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। इसमें भारी धातु होते हैं और साथ ही पीएम 2.5 और ब्लैक कार्बन भी होते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  बाइक सवारों पर झपटा गुलदार,दोनों जख्मी

नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य आराम से बैठ सकते हैं दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होने पर कुल 1,280 सदस्यों को लोकसभा कक्ष में समायोजित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। पुराना संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था। पुरानी इमारत को वर्तमान आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त पाया गया था। लोकसभा और राज्यसभा ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद के लिए एक नया भवन बनाने का आग्रह किया था।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Share on whatsapp