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जोशीमठ में लगे एनटीपीसी गो बैक के नारे,एनटीपीसी का विरोध हुआ तेज

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जोशीमठ में भू-धंसाव लगातार बढ़ रहा है। जिससे सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। जोशीमठ के हालात के लिए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े लोग एनटीपीसी को कसूरवार ठहरा रहे हैं। उनका आरोप है कि एनटीपीसी की परियोजना की वजह से जोशीमठ में धंसाव हुआ है। इतना ही नहीं एनटीपीसी के विरोध में एनटीपीसी गो बैक के पोस्टर से जोशीमठ पटा नजर आ रहा है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने एक दिवसीय धरना दिया। जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता और कई राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए। इस दौरान धरना स्थल पर एनटीपीसी गो बैक के नारे लगते रहे। जबकि, लोगों ने प्रभावितों के लिए उचित मुआवजे और पुनर्वास की मांग की। वहीं जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने ज्योतिर्मठ में प्रेस वार्ता आयोजित की। संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती ने बताया कि प्रशासन की ओर से यह कहा जा रहा है कि एनटीपीसी की टनल से जोशीमठ को कोई खतरा नहीं हैं। एनटीपीसी की ओर से यह भी कहा गया है कि संघर्ष समिति दल बनाकर टनल के तपोवन और सेलंग क्षेत्र से निरीक्षण करें। जिसको लेकर समिति की ओर से जल्द ही निरीक्षण किया जाएगा।

जोशीमठ के लोगों का आरोप है कि 520 मेगावाट की तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के लिए 12 किलोमीटर लंबी टनल खोदा जा रहा है। टनल की वजह से क्षेत्र में धंसाव और गहरा गया है। होटल प्रबंधक सूरज कप्रवान ने बताया कि यहां पर एनटीपीसी काम कर रही है। जो काफी हद तक नुकसान के लिए जिम्मेदार है। वे यहां एक टनल बना रहे हैं, उनकी एक मशीन टनल में फंसी हुई है। जो काम 2012 तक पूरा हो जाना चाहिए था, वो उसी साल शुरू हुआ। जो अभी भी चल रहा है। संघर्ष समिति ने एनटीपीसी की ओर से निर्माणाधीन 520 मेगावाट तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना को रद्द करने की मांग की। एक्टिविस्ट अतुल सती का मानना है कि इस क्षेत्र को नाजुक बनाने के कई कारण हो सकते हैं। जोशीमठ के धंसने के पीछे भी परियोजना के लिए किए गए ब्लास्टिंग ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा की जोशीमठ के धंसने को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए।

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