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पलायन नहीं, समाधान चाहिए,बागेश्वर में युवाओं ने उठाया गांवों को फिर से बसाने का बीड़ा

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बागेश्वर। पहाड़ में रहने के लिए यहां की पहाड़ जैसी चुनौतियों से जूझने की क्षमता होनी जरूरी हैं। आधुनिकता की दौड़ में लोग इन चुनौतियों का सामना करने से की बजाय पलायन पर जोर दे रहे हैं। नतीजा यह है कि गांव खाली हो रहे हैं और जमीन बंजर। खाली होते इन गांवों को फिर से आबाद करने और चुनौतियों को आसान बनाने पर नगर में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में गांव के विकास के लिए युवाओं को नए प्रारूप के तहत कौशल विकास से रूबरू कराने पर मंथन किया गया।
एक होटल में आयोजित गोष्ठी में अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े लोगों ने शिरकत की। अलग-अलग चरणों में पहाड़ की मूलभूत और प्रासंगिक मुद्दों पर आधारित समस्याओं का चयन कर उनके निदान के लिए सुझाव और समाधान खोज गए। वक्ताओं ने करीब 20 मुद्दे चयनित किए गए। जिनमें गांव की बंजर होती भूमि बढ़ता पलायन खाद्य सुरक्षा शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याएं कौशल विकास आदि पर चर्चा की गई। अलग-अलग ग्रुप बनाकर लोगों ने अपने स्तर से इन समस्याओं के समाधान सुझाए। बैठक में तय हुआ कि एक समूह के रूप में स्वयं से इन समस्याओं का निदान करने के उपाय खोजे जाएंगे। पहाड़ को बचाने के लिए किसी बाहरी मदद की बजाय खुद पहाड़ियों को मजबूत बनाने पर जोर दिया जाएगा। पहाड़ के सफल लोग ही बाकी लोगों को चुनौतियों का सामना करने को प्रेरित करेंगे। इस मौके पर नंदा बल्लभ अवस्थी, शोभित शर्मा, दिनेश मनेरिया, हरीश पांडेय, आशीष धपोला, दिलीप कुलेगी, शंकर पांडे, प्रमोद, नवीन आदि मौजूद रहे।

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